मौलाना रूम | Maulana Rum

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Maulana Rum by जगदीशचन्द्र वाचस्पति - Jagdishchandra Vachaspati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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টা क ২, (१९) “कि बह फ़ारसी जैसी कवितामयी भाषामें लिखी गयी है वरिक उसकी ख्यातिका सबब कुछ ओर ही है | इम यह चाहते हे 5 'कि इस उचित खानतपर मह्तवीके प्रसिद्ध होनेके असली कारणों- ` पर विचार किया जावे ओर यह सोचा जावे किक्या कारण हैं. कि मौलाना रुपको मस्तवी संसारमें प्रसिद्ध हे । होते हैं-- (१) वह वस्तु खयं इतनी अच्छो दो कि सवे-प्रिय हो जावे। (२) वह वस्तु किसी ऐसे कामकी हो कि जो बहुत आव- হযক্ধ হী? ~. { ३) वड वस्तु किसी एसे परसिद्ध व्पक्तिको होकिजी 3 खचेप्रियहो ५ मस्नवोकी प्रसिद्धिमें केवल पहिली वात ही प्रमाण है। ..._'अथांत्‌ मस्नवी इसलिये प्रसिद्ध है कि वह स्वय' ऐसी है ... लोग उसे আই জীব स्थान खानपर ले जावे।._ पका मस्तवीकी छेखन-ऐोली इस प्रकारकी है कि समऋनेवालेपर = (५ . 'मस्नव्रीको शुरू किया जावे तो “बांखुरीका रुदून! नामक उपा- ৯ | . আমাল सबसे पहिले दृष्टिगोचर होगा जेसा कि-- ` स किसी भोी वस्तुक्की प्रसिद्धिके विशेषतया तीन कारण ( १) मस्ततीमें प्रत्येक बातपर कथा लिखों गयी है। यदि...




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