श्री विचारचन्द्रोदय | Shree Vicharchandroday

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shree Vicharchandroday by व्रजवल्लभ हरिप्रसादजी - Vrajvallabh Hariprasadji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about व्रजवल्लभ हरिप्रसादजी - Vrajvallabh Hariprasadji

Add Infomation AboutVrajvallabh Hariprasadji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
` चोदयः] ॥ सप्तमागर्तकी प्रस्तावना ॥ १३ ˆ नोक वेदांतका बोध देनेवास्ते ईम्रेजीमैं प्रेथ लिखतेहेँ वा मासिकरअंकनविषे लेख प्रकट कर- ` तेहैं | परंतु वे लेखमैं मुख्यकरिके दवैतप्रपंचका ` प्रतिपादनमात्र देखनेमेँ आताहै ॥ तैसें थीयोसा- ... कि नामक मंडल्के नेता बी वेदांतसिद्धांतकूं क- ` छक ख़तंत्र देखिके मुख्य द्वैतकाही টান নই জী अदस्य महात्माओंकी सहायतासें असंख्य- “बर्षोंके पीछे सुक्त होनेकी आदा रस्ते ॥ दे नैका प्रधानकारण वेदातविधाका स्वतंत्रः है अभ्यास दै ॥ इसविपै श्रौविचार्सागसै सम्यक्‌ कादि किः বা ০১৭ ॥ दोहा ॥ ८ वेद्‌ अब्धि बिनगुर च्खै छग डीन समान वाद्रगुश्युखद्रार है अमृते अधिकान ॥ ` पुरातनकाठसै प्रचकिति इई रूढि अयु ध




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now