स्वामी रामतीर्थ का जीवन चरित्र | Swami Ramtirth Ka Jeevan Charitr

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Swami Ramtirth Ka Jeevan Charitr by केदार नाथ भट्ट - Kedar Nath Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) की परिस्थिति उस समय ऐसी नहीं थी | आजकल लाहौर ने बड़ी उन्नति कर ली है । उस समय वहाँ पर केवल तीन कालेज थे, जिनमें गवरनमेंट कालेज और फारमेन क्रिश्वियन कालेज उन्नत दशा में थे। तीसरा कालेज दयानन्द एड्रलो-बेदिक कालेज था, जो कि उस समय नया ही था | अब दयानन्द एंगलो-बेंदिक कालेज ने भी बड़ी उन्नति कर ली है, विशेष क्या, अब तो भारतवर्षं भर में इस जेसे सिफ २-४ कालेज हैं, जिनमें इतनी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा ग्राप्त कर सकते हैं और शुल्क भी कम लिया जाता है तथा धनहीन विद्या- थियों को निःशुल्क भी शिक्षा मिलती हैं। इस कालेज के अध्यापकों तथा विद्याथियों का जीवन बहुत ही सादा होता है। अध्यापकों के स्वार्थ-व्याग का नमूना जेसा यहाँ मिल सकता है वैसा पूना के फग्युसन कालेज आदि. एक दो कालेजों को छोड़ कर अन्यत्र मिलना कठिन है | अपने-अपने विषय में विशेष योग्यता रखते हुए भी यहाँ के अध्यापक बहुत कम वेतन लेते हैं। भारतीय विश्व- विद्यालयों के प्रोफेसरों का वेतन ८५०) से लेकर १२००) तक होता है, तथा रीडरों का वेतन ४७५०) से ८५०) तक होता है ओर लेक्चरर अथांत तीसरी श्रेणी के अध्या- पकों का वेतन भी २४०) से ४७५४०) तक होता है | इसी




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