अथर्ववेद शतकम् | Atharvaveda Shatakam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
743 KB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)চপল পা
[६७]
परमात्मा की पूज[
प्रच॑त प्रार्थत प्रिममैपासों पर्चत \
प्रध॑स्तु पर॒श्रपा जहा पुरं ने धृष्णयर्घत ॥ २०७२५ ॥ *
पदार्म -[प्रियगेधाग ) है प्यारी নিয়া,
। शिः पदि यति पुरषो ! (पूर्ण) निर्भव (पुर्मू न)
1 दक गणान उस परगेदरर/ को [प्रसंत) पूजों
& (স) সনদ प्ररार (সর্দন) দুনী, (সন) रगो,
| (তা) मोर् (नुत) गणौ मनाने वमक |
| (দন) |
1 भावार्य --मतुष्यो फौ गारिप वि वे प्रधने पुत्र |
| पुनियों सहित परेत सया मे, प्रेत पाप मे ।
] प्रत्त गं में परगात्मा की शक्ति को निहार 4२४
! प्रात्मा वी उन्नति करे । ५
+ करे क कक পাপ ০,
মি ~ न + कट
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