विद्यासागर (जीवनचरित) | Vidhyasagar (Jeevancharit)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीय अध्याय । घूर्वपुरुष ओर जन्म-विवरण 1 ॐ ४ शकाच्द (हिजरी सन्‌ १९२७ आर अँगरेजी सन्‌ १९६ १ 8 ह ८२०)कौ आश्िन-कृष्णा द्वादशी मट्ठलवार को 2286 य दोपहर के समय मेदिनीपुर जिले फी श्रन्तर्मत वीर- ^ मिदि गवि के एक गूरीय आद्ण-बराने मे ईश्वस्वन्दर 1 का जन्म हुआ घा। यह अपने मान्वाप के पहले लड़के थे । जिस घराने में ईश्वरवन्द्र का जन्म हुआ बह गरीब अवश्य था; लेकिन उसमें निधाबान ओर कत्त व्य-निरत लोगों की कमी न थी। जिन आ्राचारां आर आचरणों को देसने से सुशिक्षा प्राप्त कर लड़फी-लड़से अपने भ्गवी जीवन को उत्तम बना सकते हैं. उनकी इश्वरचन्द्र फे घर में कमी न घी । जे भद्दान्पुरुूषप आगे चलकर विशेषरूप से भ्रतिपत्ति भ्राप्त करने में अपनी विद्या, बुद्धि और शक्ति-सामथ्ये लगाकर अपने और श्रसंख्य लेगें के सुप और समृद्धि की बृद्धि कर सफते हैं उन्हे प्रथ्यो के लोग सहज ही अपने से अलग कर देते हैं। और, यदि वे अन्य दस ` प्रादभियों कौ तरह न्याय-अन्याय के बिचार से शून्य होकर चिरा- गत पद्धति का अतुसरण न करके स्मयं अपनी रह साजलेते ह शरोर अन्य दस ्रादभियें को सौ उस सां में चलाते या चलने




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