रणभेरी फिर ललकार रही | Ranbheri Phir Lalkar Rhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एवं सुप्रसिद्ध हास्य कवि भाई सुरेन्द्र शर्माजी का भी हार्दिक आभारी हूं जिन्होंने मेरी रचनाओं को कसौटी पर परखने का दायित्व सहर्ष निभाया। मैं इस पुस्तक में प्रकाशित संग्रहणीय चित्रों को उपलब्ध कराने हेतु हिंदुस्तान टाइम्स के सेक्रेट्री श्री चीरेन्द्र कुमारजी चौरड़िया एवं चीफ फोटोग्राफर श्री अरुण जैटली को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूं। नेशनल पब्लिशिंग हाउस के श्री सुरेन्द्र मलिकजी विशेष बधाई एवं धन्यवाद के पात्र हँ जिन्होने इतने अल्प समय में इन रचनाओं के प्रकाशन का दायित्व लेकर न केवल अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है अपितु करगिल में हुए शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की है। यह कृति प्रणाम है मातृभूमि को, मातृभूमि की रक्षा के लिए तन-मन-जीवन, अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले सीमा के प्रहरी सैनिकों को, भारत के वीर सपूतों को जो हमारे कल के लिए अपने आज का बलिदान कर रहे हैं। आपका स्नेह, समर्थन इस कृति को मिलेगा, इसी विश्वास व शुभकामनाओं सहित-- রাজি एस-247, ग्रेटर कैलाश, भाग-2 ০29 शो পু. नयी दिल्ली-110048. स्वाधीनता दिवस ( वीरेन्द्र मेहता ) 15 अगस्त, 1999 0০22)




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