अहमदी युक्तियों का खण्डन | Ahmadi Yuktiyon Ka Khandan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अय पथिक चन्थवलो | (१४)
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का पक्षपात न करे, प्रत्युत मेरे विचार में तो यद्द श्रच्छो बात हैं कि हम और
मौलवी और पादरी तीन पच्त मिलकर प्रम से सत्य का निशांय करें | किसी
से विरुद्धता करनी उचित नहीं । बुद्धिमानों ने सत्य कहा ই
बिनॉयकार बिनेहवर पघबातों शमिन घांश '
कि हरविना कि बर ग्रामजस्त पायदार बुबद ॥#
दर तरदूदुद रहै नत्ात मदा । है खृषखलत बेश्रज सवात মহা #
मेल दारौ त्र रफपश्ते दरजात | दर पुश्रान) खात হহজ অন্বাল।
(अपना काम सत्य के आधार पर कर और निशिन्तं रह क्योकि जो नींव
यथार्थ पर हैं स्थिर रद्दतीहँ । मोक्ष मागे को खोज में लगे हुये घृतिके स्वभाव से
ज़्यादा अच्छा कोई स्वभाव नहीं । यदि तू उन्नति करना चाहता हैं तो सत्य पर
स्थिर रह और सत्य को ही पसन्द कर | )
पाठक बृन्द ! क्या ऐसे सभय पर रवामो जी का सच्चाई और सत्य धर्म पर
हू रह कर कपट शरोर छल में राम्टल्वत न होना इस्त बान को सिद्ध नहों करता
कि सचा फे तत्व रत को धूण -आशनो उनः प्रात हो चुको थी श्रौर श्रसत्यसे
उनका मन सवथा घणा करता था
मिरज़ा ने जित्तना श्र जाल का वेकान उढायां उसको नह के तुफान से
वदा दिया श्रौर लत्य पृद्धो तो सन्य करा खून कर दिया ।
वादी+-बल्कि मिनजुभला उन ज़खोरा सुतकर्रिक खयालातके कुछ तो पंडित दयानंद
साहिब के श्रपने दिल के बुयारात ६ ओर कुछ ऐसे तेजा तलरुफात हूँ कि किसी
जगह से सिर ओर किसतो जगह से टांग लो गई हें। ग़रज़ इस किस्म की कारसा-
ज़िया से इस फिरके का कालिब तय्यार किया गया है ।
प्रतिधादो--मिरज्ञा साहिब इस्लामी पक्षपात के बुखार निकालने से
बाज़ नहों रहते ओर इसा जांश में ज्ञो मुद्द में आता हं कदते हें--हज़रत ! घबरा-
ये नहीं, यद पंडित जी फे म्न के बुखार नदं हं किन्तु सच्ची आज्ञायें और
पवित्र वेद् की शिन्तायं हैं | सत्य शाह्ना के आदेश हैं और विद्या सम्बन्धों यूढ़
विषया के समावेश | उपाधि ब्याधि से हम परूणं घणा करते और प्रम जाल से
स्व॑था बचते दें । व्यथे के हस्ताक्षेप का वोष लगाना और छल से कार्य्य सिद्धि
करने का कलंक लगाना सूथ्ये को पट से छिपाना और चांद पर धूल उड़ाना
है। परण्तु वास्तव में आपका किचितभात्र भो दोष नहों केवल अपने मत्त के
पष्ठपात का पितुर या इस्लाम का इलद्ामो नूर है जो आपको सत्य की ओर से
रोकता है और अखत्य के मंवर में कौकता है, अतः उचित समझता है कि সা
का इसका पूरा २ जवाब उुनाऊं श्रोर अनेक उद्धद॒र््णा का सारा दफतर आपके
सम्भुख लाऊ, लेख चुना श्रौर मुर्गा का सिर और टांग उड़ोना किसो और छा
कांम दे न कि स्वामी जो का, ध्यान पूवेक पाढ़ये |
मूसा व इस्माइल, व इस्द्दाक, व इबराह,म व छूत व यूसफ व याकूब आदि
के किस्सो के सूसा को तौरेत से लिया | दाऊद वा खुलेमान व अश्रयूबष आदि
के बूत्तो को सम्बाईल और अयूब को पुरूतकों से कंठ किया, आवम व दृव्या शौर
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