शल्य क्रिया और आप | Shalya Kriya Aur Aap

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Shalya Kriya Aur Aap by आर. सी. गुप्ता - R. C. Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रणाली का इस देश से लोप होता जा रहा है। कुछ समय पश्चात्‌ हो सकता है कि परिवार की परिभाषा ही बदल जाये और सूक्ष्म हो जाये। ऐसे में कौन चाहेगा कि परिवार का एक भी सदस्य किसी भी प्रकार से अक्षम हो। शल्य कर्म में वृद्धि का एक और कारण है और वह है गआमीण क्षेत्रों में आधुनिक उपकरणों का प्रयोग। आज से कुछ वर्ष पूर्व कुट्टी काटने की मशीन से हाथ कटने की बात एक दुःखद स्वप्न की तरह हो सकती थी। लेकिन अब इसी जिले में यह ले लेती है करीब 100 जीवन -- इसी प्रकार है आटा चक्की, रूई धुनने की मशीन या पन-चक्की से चोटों का लगना। पहले इनकी सख्या नगण्य थी पर अब गांव में इनका बढ़ता हुआ उपयोग अब सैकड़ों अंगो व जीवनं हानि के लिए उत्तरदायी है। पम्पिंग सेट या आटा-चक्की तो लग गई है परन्तु किसी ने यह समझने या बताने की कोशिश नहीं की कि इनके पास ढीले बस्नों में न जायें। धोती कुरता पहन, गले में गमछा लटका कर पहुँच गये दातून करते हुए ट्यूबवेल पर या पम्प के पास और नतीजा आप स्वयं सोच सकते है। 717 शल्य क्रिया और आप/17




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