तीर्थंकर महावीर | Tirthankar Mahaveer

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Tirthankar Mahaveer by रविन्द्र मालव - Ravindra Malav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भारत की पावन भूमि पर आज से दो हजार पाच सौ तिहृत्तर वषं पूवं जन्मे तीर्थकर वद्धमान महावीर, भारतीय जनमानस के ही नही, सम्पूणं मानव समाज के लिये, गौरव, प्रतिष्ठा और, सम्मान के परमाधिकारी महामानव भ्रे। उनके परमोदात्त चरित्र भौर पवित्र उपदेशो ने भारतीय परम्परा को गौरवान्वित किया । उनकी तपोनिष्ठा (तप-तितीक्षा), आत्म विजय, व्यापक मैत्री भावना और निर्वाण प्राप्ति ने प्राणीमात्र को आलोकित किया। हिंसा, बलि, पासड, बैर घृणा और विषमता के युग में जन्मे वर्धमान ने वेचारिक, सामाजिक एव अधिक क्रान्ति के माध्यम से तत्कालीन मानव समाज को अहिसा और सह-अरितित्व पर आधारित नवीन जीवन-दर्शन प्रदान कर तत्कालीन समाज-व्यवस्था को झकझोर दिया । उनके उपदेशों ने युगप्रवाह को बदल- कर नवीन युगप्रवतेत किया जिसके कारण तत्कालीन समाज का एक बहुत ब्रड़ा भाग उनके मानवता,




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