भारत माता | Bharat Mata
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ट भारत-माता
ভু ভান करोगे और उस प्रभु को केवल पत्थर की मूति ही में
परिमित न रहने दोगे !
गरल्ती से जिनको तुम पतितः कहते हो, वे वे हँ जो “अभी
उठे नहीं? हैँ | वे उसी प्रकार से विश्वविद्यालय के नव-्मागन्तुक
विद्यार्थी हैं, जिस प्रकार किसी समय तुम भी थे ।
३६
मेरे प्यारे हिंदुओं ! परिवर्तन से अथवा समय-अनुकूल बनने
से घृणा करके और पुरानी रीतियों वथा बंश-परंपरा पर
अत्यंत जोर देकर अपने को मनुष्यता के आसन से नीचे मत
गिराओ । '
©
यदि आप नई रोशनी को, जो आप ही के देश की पुरानी
और प्राचीन रोशनी है, ग्रहण करने को र्ती और तैयार नहीं
हो, तो जाओ और पिठृलोक में पूर्व-पुरुषों के साथ निवास करो ।
यहाँ ठदरने का कया काम है? प्रणाम !
४१
सत्य का अध्यास शक्ति और विजय लाता है; चमं का
अध्यास ( चाहे वह त्राह्मणत्व का अध्यास हो अथवा संन्यासपने
का ) तुम्हें चमार बना देता
४२
किसी धर्म को इसलिए अंगीकार मत करो कि वह सब
से प्राचीन है। सब से प्राचीन होना उसके सच्चे होने का
प्रमाण नहीं है। कभी-कभी प्राने-से-पुराने घरों को गिराना
उचित होता है और पुराने दस्य अवश्य बदलने पढ़ते हैं অনি
कोई नये से नया माग या रीति विवेक की कसौटी पर खरी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...