भारत माता | Bharat Mata

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Bharat Mata by स्वामी रामतीर्थ - Swami Ramtirth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ट भारत-माता ভু ভান करोगे और उस प्रभु को केवल पत्थर की मूति ही में परिमित न रहने दोगे ! गरल्ती से जिनको तुम पतितः कहते हो, वे वे हँ जो “अभी उठे नहीं? हैँ | वे उसी प्रकार से विश्वविद्यालय के नव-्मागन्तुक विद्यार्थी हैं, जिस प्रकार किसी समय तुम भी थे । ३६ मेरे प्यारे हिंदुओं ! परिवर्तन से अथवा समय-अनुकूल बनने से घृणा करके और पुरानी रीतियों वथा बंश-परंपरा पर अत्यंत जोर देकर अपने को मनुष्यता के आसन से नीचे मत गिराओ । ' © यदि आप नई रोशनी को, जो आप ही के देश की पुरानी और प्राचीन रोशनी है, ग्रहण करने को र्ती और तैयार नहीं हो, तो जाओ और पिठृलोक में पूर्व-पुरुषों के साथ निवास करो । यहाँ ठदरने का कया काम है? प्रणाम ! ४१ सत्य का अध्यास शक्ति और विजय लाता है; चमं का अध्यास ( चाहे वह त्राह्मणत्व का अध्यास हो अथवा संन्यासपने का ) तुम्हें चमार बना देता ४२ किसी धर्म को इसलिए अंगीकार मत करो कि वह सब से प्राचीन है। सब से प्राचीन होना उसके सच्चे होने का प्रमाण नहीं है। कभी-कभी प्राने-से-पुराने घरों को गिराना उचित होता है और पुराने दस्य अवश्य बदलने पढ़ते हैं অনি कोई नये से नया माग या रीति विवेक की कसौटी पर खरी




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