द्विभाषीय अशोकिय अभिलेख | Dwibhashaya Asokia Abhiklekh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : द्विभाषीय अशोकिय अभिलेख  - Dwibhashaya Asokia Abhiklekh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शिलानन्द हेमराज - Shilanand Hemraj

Add Infomation AboutShilanand Hemraj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अभिलेख भी शुद्ध रूप से ˆ एकभाषीय “ नहीं माने जा सकते हैं । पहली बात तो यह है कि वे किसी मूल प्राकृत प्रारूप से अनूदित हुए अथवा कम-से-कम एसे प्रारूप कं आधार पर पुनरुक्त हए । अत उनकी भाषा मूल प्राकृत प्रारूप से प्रभावित हुई , यहा तक कि कुछ प्राकृत शब्द ही उनमें लिप्यन्तरित रूप में प्रयुक्त हुए , जैसे यूनानी कन्दहार शिलाख़ण्ड-लेख में पि्जीदस्सैस. (प्रियदर्शी) , সাম नैस (ब्राहमण) ओर सरमे नैस (श्रमण) । अरामी कन्दहार शिलाखण्ड-लेख तथा पुल-इ-दरुन्त शिलाफलक-लेख में भी ऐसे कुछ मूल प्राकृत शब्द उल्लिखित ह . जिनको पहचानना कठिन है , क्योंकि उन शब्दों के स्वरवर्ण अरामी लिपि में लिप्यन्तरित नही किये गये है , कवल उनके व्यजन ही अरामी लिपि मे लिप्यम्तरित दिखाई देते हैं - उदाहरणार्थ , प्राकृत ˆ प्रिय- द्रशि “को अरामीमं प्रयद्रश्‌ लिखा गया है | दूसरी बात यह है कि उन अरामी अभिलेखों में कुछ प्राचीन ईरानी शब्दों का भी समावेश है , जैसे अरामी तक्षशिला स्तम्भलेख में * हु-पत्यास्ति “ (सुश्रुषा , आज्ञाकारिता)। लघमान के प्रथम ओौर दितीय अरामी शिलालेखां मँ ॒प्राचीन ईहरानी आगत शब्दं (1085०09) के बाहुल्य के कारण प्राय एक सम्मिश्रित सकर भाषा (1010 15155889) उभड आती है । इस प्रकार न केवल शर-इ-कून के द्विलिपीय यूनानी-अरामी शिलालेच में दो ही भाषाएं ( यूनानी और अरामी ) लिपिबद्ध हुईं , वरन्‌ अन्य यूनानी-लिपीय अथवा अरामी-लिपीय अभिलेखों मे भी मात्र किसी एक भाषा उत्कीर्ण नहीं की गहं । अत समस्त अशोकीय अभिलेखों की अभिसूची में उन सभी यूनानी-लिपीय अथवा अरामी-लिपीय अमिलेखो को अलग द्विमाषीय अमिलेख ' नामक वर्ग में सम्मिलित किया जा सकता है । ऊपर के विवेचन से स्पष्ट है कि मुख्य शोध-शीर्षक * द्विभाषीय अशोकीय अभिलेख “ को बहुवचन अर्थ में ही समझना चाहिए, जैसे अंग्रेजी में स्पष्ट है. 17% 8414780०1 136८4८1० 0 637091८2 - । इस बहुवचन के प्रयोग कं ओौचित्य का तीसरा कारण हं स्वयं विद्वानों द्वारा अपनाया गया प्रचलन । उदाहरणार्थ , भाषाविद्‌ एच. हुम्ब्‌ तक्षशिला क अरामी स्तम्भलेख को एक “ अरामीय-ईरानी अभिलेख * कहते है, जब कि शर-३-कुन के यूनानी-अरामी शिलालेख को वह द्विभाषीय (वास्तव में , त्रिभाषीय) ” यूनानी + अरामीय-ईरानी | 16




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now