साठोत्तरी हिंदी कथा साहित्य में दलित चेतना | Sathottary Hindi Katha Sahitya Me Dalit Chetana

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Sathottary Hindi Katha Sahitya Me Dalit Chetana by कृष्ण मोहन सिंह - Krashna Mohan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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£० 10 “| घोधाल ने अपनी क्तिाब हिन्दू पव्लिक लाइफ में अनेक दृष्टान्त देकर बताया है कक दो प्रभावशात्षी शक्तियों के हूप मै ब्रहम और क्र का समाज भर कतिना महत्व पा, उनमें परस्पर লীলা विरोध শা জীহ ভজক লাজুক उनकी राजनी तिक म्त्रिता क्तिनी गहरी थी |! লাহুল্যা শী से पता चलता है कि ब्राहमा और क्षात्रिय दोनों निम्न वर्णों के लाथ जिनमें शूद्र भी आते हैं- विवाह कर सकते थे 1८ श्र महत्ता ते उच्च क्णीके लोगों का विवाह बरा नही माना जाता था मगर इसके विपरीत विवाह की लामान्यतया अनमति नहीं थो उत्तर वीदक काल में! शृद्रों की स्थिति के सम्बन्ध में जो उल्लेख हैं उनमें सुलैगतता का अभाव है ।/ उनके अन्तर्विरोधों की व्याख्या अर्तः उन प्रसतगो के काक्क्रमके आधार पर कीजा सक्ती हे धाधघारण्तया धार्मिक अनष्डान में,जो जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त धाद के सहभाग या सहयोग का নমল ঈিজজ परवर्ती ग्रान्धों में दिखाई पड़ता हैं कितु इनम अधिकारों ओर अखमक्ताओं का क्छीन साधी साय क्या गया है । इसका कारण यह बताया जा क्ता हे कि ज्यॉ-ज्यों जनजातीय हमाज का विघ्टन हुआ और की वध बढ़ते गछ ल्पॉ-त्पों शृद्रों की अपनी রি | ¶ क शत क ह ^ রঃ # ।-प्ोषाल : हिन्दु पन्न्तिक लाइफ; ।, पु 0-73-80 2-कीथ : केभ्व्रिजि हिस्ट्री आफ ईंडिया) ।, पृ0-126 उ-रैप्सन ६ कीम्ज़ज हिस्ट्री आफ ईंडिया”1, ।29




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