विश्व की प्रसिद्ध आतंक कथाएँ | Vishv Ki Prasidh Atank Kathayein

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Vishv Ki Prasidh Atank Kathayein by उमा पाठक - Uma Pathak

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वर्ष 1938 में करोलबाग़ में जन्मी उमा पाठक का विवाह सत्यप्रकाश पाठक जी के साथ हुआ | 82 वर्ष की आयु में वे इस समय भी हरिंदर सिक्का द्वारा रचित पुस्तक 'विछोड़ा' के अनुवाद में व्यस्त हैं |

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वह हल्की सी चोकी फिर हसते हए बोलती ओह जब मे परेशान होना चाहूगी तो मुझे बहुत आदमी मिल जायेंगे।” जल्दी ही वह अपनी भावनाओं पर काबू पा गई क्योकि सभी स्थ्रियाँ, वे आभिजात्य वर्ग की हं या सरोय की नौकरानी, एक विशेष मानसिक सन्तुलन रखती हे। “तुम इतनी सुन्दर हो और तुम्हें सब पसन्द करते हैं। फिर तुम्हें प्रेमियों की कमी क्यों है? रोजाली यह बताओ कि मेडम दं मीरे को छोड़ने के बाद तुमने सराय में नौकरी क्‍यों ली? क्‍या वे तुम्हारे लिए कुछ नहीं छोड़ गईं?” “ओह जरूर! पर श्रीमान्‌, पूरे बेंडोम में मैं सबसे अच्छी जगह हूँ।” जज या वकील के हिसाब सै जवाब रलने वाला था । मुझे लगा रोजाली इस रोमांटिक इतिहास के बीच ऐसे थी जैसे शतरंज की बिसात के बीच में स्थित चौकोर खाना | वह सच्चाई और मुख्य कुतूहल के मूल में थी; मुझे लगा वह उस गाँठ से जुड़ी थी। रोजाती को जीतना कोई मामूली बात नहीं थी--इस लड़की में उपन्यास का अन्तिम अध्याय केन्द्रित था, इसलिए मेरा उसकी तरफ ख़ास रुझान हुआ। एक सुबह मैंने उससे कहा, “मुझे मैडम के बारे में सब कुछ बताओ” उसने डरते हुए कहा, “ओह, मासियों होरेस, मुझसे उस बारे में मत पूष्ठिएु 1 उसका सुन्दर चेहरा मुर॒झा गया--साफ चमकीला रंग फीका पड़ गया और उसकी आँखों की भोली चमक गायब हो गई। “ठीक है”, वह बोली, “अगर आप जानना चाहते हैं तो मैं बताऊँगी, पर आपको वायदा करना पड़ेगा कि आप मेरी बात को गुप्त रखेंगे ¢ “मैं वायदा करता हूँ। तुम अच्छी लड़की हो। मैं तुम्हारा भेद, चोर की इज्जत की तरह जो संसार में सबसे अधिक ईमानदार होती है, छिपाकर रखूँगा।” अगर मैं रोजाली की सरी बातें ज्यों की त्यों लिखता तो पूरी किताब बन जाती अतः संक्षेप में कहता हूँ। “ब्रेतेश में मैडम नीचे के कमरे में रहती थी। दीवार की चौड़ाई में चार फुट गहरी जगह उसकी आलमारी का काम करती थी। जिस घटनापूर्ण शाम की बात मैं बताने जा रहा हूँ, उससे तीन महीने पहले मैडम इत्तनी बीमार हो गई थीं कि उनके पति उन्हें उनके कमरे में छोड़कर पहली मंजिल के कमरे में रहने लगे थे। कुछ बातें ऐसी होती हैं कि उनके बारे में हम पहले से कुछ नहीं जान पाते। ऐसी ही होनी उस दिन हुई। उनके पति जो रोज क्लब जाकर या अखबार पढ़ते थे या यहाँ बैठे लोगों से राजनीतिक चर्चा करते थे, उस दिन रोज़ से दो घंटे देर में लौटे। उनकी पतली ने सोचा कि वे घर पर अपने बिस्तर में सो रहे हैं। पर उस दिन फ्रास का हमला एक जीवन्त विवाद का विषय था; बिलियर्ड का मैच बढ़िया था जिसमे वह चालीस फ्रैंक हार गया था। वेंडोम में जहाँ लोग जमा करते थे यह एक बडी रहस्यमय हवेली / 19




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