परिशिष्टांक | Parishishtank
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लल्लिप्रसाद पाण्डेय - Lalliprasad Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अविमुक्त तीथे ]
अविमुक्त तीथ--काशी--८८२ |
अव्यय--जनमेजय के सपंयज्ञ म जला एक सपैप--११६।
अव्यवस्थित युद्ध--३०७० |
अशोक ( १ )--एक राजा, अश्व असुर का अशा-
वतार--१४० |
अशेक ( २ )--भीमसेन का सारथी---२०२१।
अशेक तीथ--८६३ |
अशेक वाटिका--रावण की एक वाटिका, जिसमे सीता
रक्खी गई थी--१२७६ ।
अश्मक ( १ }-- कल्माषपाद की रानी मदयन्ती से
महषिं वशिष्ट द्वारा उत्पन्न पुत्र--२६८, ४०१ ।
अश्मक ( २ )--गोदावरी श्रौर माहिष्मती के बीच का
देश १८६० ।
अश्मक ( ३ )--एक राजा; पाण्डब-पक्षु का येद्धा--
२३४५ |
अश्मकी--यादव-वंश में उत्पन्न एक राजकुमारी,
प्राचीन्बान् की स्त्री---२०८ |
अश्मकेश्वर--अश्मक देश का राजा; कैरव-पच् का
याद्धा--२२५८,--और अभिमन्यु का चुद्ध-२२५८,
“का वध--२२४५८ |
अश्मप्ष्ठ--गया में प्र तशिला--.४००६ |
अश्मा--एक महात्मा ब्राह्मण--३३१६,--और जनक
का ज्षश्रिय-धर्म-विषयंक संवाद--२३ १६-१८ |
अख्व ( १ )--एक असुर; दक्षुकन्या दनु का पुत्र--1 ३५४,
१४० |
अश्च ( २ )--एक नदी--१३३७ ।
अग्वकेतु--कारब-पक्त का एक क्षत्रिय--२२७५,--का
वध--२२७५ |
अमग्ग्ीव--एक असुर; दक्षकन्या दनु का पुत्र-- १३५।
अखचक्र--णएक दानव--६४४,--का, साम्ब द्वारा, वध
-- ६.४४ |
अश्वतर ( १ )--एक साँप--८४, १७०६ |
अख्वतर ( २ )--एक प्रधान ती4--द८न |
अख्वती4थ--'क़न्नौज के पास गद्ा और काली नदी का
सङ्खम-स्थल'-६३७, १७२६,- खे श्यामकर्ण গীতা
का निकलना--३६४५ |
अखत्थामा ( १ )-द्रोणाचार्य के पुत्र; कृपाचाये की बहन
कृपी इनको माता थी---२६ १,--और अज्जैन का युद्ध-
( ११ )
[ अग्वशिरा (२ )
१४६१, २८६३-६४, ३०४४-४५,--ओर घटेत्कच का
युद्ध-३४४७-४१ ,--ओर द्रोणाचाय का संवादू---
२१३२-३४,--और छष्टग्न्ञ का युद्ध--२५६४-६७,---
ओर भीमसेन का युद्ध--२७४०-४२,--और शिखण्डी
का युद्ध--१६६६ ,--का अपने सिर की मणि पाण्डवे
के देवा---३२३५,--का कण पर रोष---२५४६-६०,---
का जन्म--२६०, २६४,--का पराक्ष होना--२७४७,
रेण८१ ,--का युद्ध-त्याग---१४६ १ ,---का रथ---१६० ३ ,
--का शख्र शाख्र-ज्ञान--१४४६,--का सेनापति-पद् पर
अभिषेक--३ १८६ ,-- की प्रतिज्ञा--२६७१,---की शपथ
--२ १८६,-- त पाज्नालों का विनाश--३२०८,-कृत
शिव-स्तुति--३२० १-०२,--कत सन्धि का अस्ताव---
२६७३-७४,--कत सुप्तों के वध की प्रतिज्ञा--३१६४,
- के शरीर से शिव का प्रवेश---३२०४,--को पितृव'ध
का संवाद मिलना--२६६६,--के महाभूत के दर्शन
--३१६८-६६,--का श्रीकृष्ण का शाप--३२२५,---
द्वारा कर्ण की भत्सेना--१४४५,--द्वारा पाण्डवों के
सर्ेनाश के लिएु अ्रह्मशिर अखत्र का अयोग- ३२२२,
“शब्द की निरुक्ति-- २६१ |
अश्वत्थामा ( २ )--इस नाम का एक हाथी--२६५४४,
“की चच--२६४४ ।
*अख्यदाोन का फल्---१७२१, ४१०६ ।
अखश्रपति ( १ )--एक असुर; दक्षुकन्या दनु का पुत्र---
१३४, ९४० |
श््ेश्पति ( २)-मद्र-नरेश; सावित्री के पिता--१३०५,
--ओऔर थ मत्सेन का संवाद--१११०,--का देवाराधन
--१३०५,--का साविन्नी का, वर हूंढ़ने के लिए,
च्नादेश--१३०७.-- के पुन्नोत्पत्ति--१३२४,--केो
साविद्री देवी से चर-प्राप्ति--११०६ |
अग्वमेधदत्त---चद्रबंशी शतानीक का, विदेह देश को
राजकुमारी से उत्पन्न, पुनत्र--२१२।
*»अश्वमेधपव--.४२७१,-की अध्याय-श्लेक-संस्या-२६ |
अखश्वरथा--खाशणडव वन के अन्तर्गत एक नदी--१०२० |
अखश्ववरतती --एक नदी--४२६४ ।
#अश्व-विज्ञान--८४४-४४ |
अम्र्शंकु--एक असुर; दक्कुकन्या दनु का पुत्र---१३५ |
अखश्वशिरा (१)-एक असुर; दक्तुकन्या दनु का पुत्रु-१३५।
अश्वशिरा ( २ )--एक ऋषि---२३१२५ |
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