परिशिष्टांक | Parishishtank

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Parishishtank by लल्लिप्रसाद पाण्डेय - Lalliprasad Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अविमुक्त तीथे ] अविमुक्त तीथ--काशी--८८२ | अव्यय--जनमेजय के सपंयज्ञ म जला एक सपैप--११६। अव्यवस्थित युद्ध--३०७० | अशोक ( १ )--एक राजा, अश्व असुर का अशा- वतार--१४० | अशेक ( २ )--भीमसेन का सारथी---२०२१। अशेक तीथ--८६३ | अशेक वाटिका--रावण की एक वाटिका, जिसमे सीता रक्खी गई थी--१२७६ । अश्मक ( १ }-- कल्माषपाद की रानी मदयन्ती से महषिं वशिष्ट द्वारा उत्पन्न पुत्र--२६८, ४०१ । अश्मक ( २ )--गोदावरी श्रौर माहिष्मती के बीच का देश १८६० । अश्मक ( ३ )--एक राजा; पाण्डब-पक्षु का येद्धा-- २३४५ | अश्मकी--यादव-वंश में उत्पन्न एक राजकुमारी, प्राचीन्बान्‌ की स्त्री---२०८ | अश्मकेश्वर--अश्मक देश का राजा; कैरव-पच् का याद्धा--२२५८,--और अभिमन्यु का चुद्ध-२२५८, “का वध--२२४५८ | अश्मप्ष्ठ--गया में प्र तशिला--.४००६ | अश्मा--एक महात्मा ब्राह्मण--३३१६,--और जनक का ज्षश्रिय-धर्म-विषयंक संवाद--२३ १६-१८ | अख्व ( १ )--एक असुर; दक्षुकन्या दनु का पुत्र--1 ३५४, १४० | अश्च ( २ )--एक नदी--१३३७ । अग्वकेतु--कारब-पक्त का एक क्षत्रिय--२२७५,--का वध--२२७५ | अमग्ग्ीव--एक असुर; दक्षकन्या दनु का पुत्र-- १३५। अखचक्र--णएक दानव--६४४,--का, साम्ब द्वारा, वध -- ६.४४ | अश्वतर ( १ )--एक साँप--८४, १७०६ | अख्वतर ( २ )--एक प्रधान ती4--द८न | अख्वती4थ--'क़न्नौज के पास गद्ा और काली नदी का सङ्खम-स्थल'-६३७, १७२६,- खे श्यामकर्ण গীতা का निकलना--३६४५ | अखत्थामा ( १ )-द्रोणाचार्य के पुत्र; कृपाचाये की बहन कृपी इनको माता थी---२६ १,--और अज्जैन का युद्ध- ( ११ ) [ अग्वशिरा (२ ) १४६१, २८६३-६४, ३०४४-४५,--ओर घटेत्कच का युद्ध-३४४७-४१ ,--ओर द्रोणाचाय का संवादू--- २१३२-३४,--और छष्टग्न्ञ का युद्ध--२५६४-६७,--- ओर भीमसेन का युद्ध--२७४०-४२,--और शिखण्डी का युद्ध--१६६६ ,--का अपने सिर की मणि पाण्डवे के देवा---३२३५,--का कण पर रोष---२५४६-६०,--- का जन्म--२६०, २६४,--का पराक्ष होना--२७४७, रेण८१ ,--का युद्ध-त्याग---१४६ १ ,---का रथ---१६० ३ , --का शख्र शाख्र-ज्ञान--१४४६,--का सेनापति-पद्‌ पर अभिषेक--३ १८६ ,-- की प्रतिज्ञा--२६७१,---की शपथ --२ १८६,-- त पाज्नालों का विनाश--३२०८,-कृत शिव-स्तुति--३२० १-०२,--कत सन्धि का अस्ताव--- २६७३-७४,--कत सुप्तों के वध की प्रतिज्ञा--३१६४, - के शरीर से शिव का प्रवेश---३२०४,--को पितृव'ध का संवाद मिलना--२६६६,--के महाभूत के दर्शन --३१६८-६६,--का श्रीकृष्ण का शाप--३२२५,--- द्वारा कर्ण की भत्सेना--१४४५,--द्वारा पाण्डवों के सर्ेनाश के लिएु अ्रह्मशिर अखत्र का अयोग- ३२२२, “शब्द की निरुक्ति-- २६१ | अश्वत्थामा ( २ )--इस नाम का एक हाथी--२६५४४, “की चच--२६४४ । *अख्यदाोन का फल्---१७२१, ४१०६ । अखश्रपति ( १ )--एक असुर; दक्षुकन्या दनु का पुत्र--- १३४, ९४० | श््ेश्पति ( २)-मद्र-नरेश; सावित्री के पिता--१३०५, --ओऔर थ मत्सेन का संवाद--१११०,--का देवाराधन --१३०५,--का साविन्नी का, वर हूंढ़ने के लिए, च्नादेश--१३०७.-- के पुन्नोत्पत्ति--१३२४,--केो साविद्री देवी से चर-प्राप्ति--११०६ | अग्वमेधदत्त---चद्रबंशी शतानीक का, विदेह देश को राजकुमारी से उत्पन्न, पुनत्र--२१२। *»अश्वमेधपव--.४२७१,-की अध्याय-श्लेक-संस्या-२६ | अखश्वरथा--खाशणडव वन के अन्तर्गत एक नदी--१०२० | अखश्ववरतती --एक नदी--४२६४ । #अश्व-विज्ञान--८४४-४४ | अम्र्शंकु--एक असुर; दक्कुकन्या दनु का पुत्र---१३५ | अखश्वशिरा (१)-एक असुर; दक्तुकन्या दनु का पुत्रु-१३५। अश्वशिरा ( २ )--एक ऋषि---२३१२५ |




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