बनारस घराने की गायन परम्परा और पं॰ बड़े रामदास जी का स्थान एवं योगदान | Banaras Gharaane Ki Gaayan Parampara Aur Pandit Bade Ramdas Ji Ka sthan Evm yogdan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बनारस घराने की गायन परम्परा और पं॰ बड़े रामदास जी का स्थान एवं योगदान  - Banaras Gharaane Ki Gaayan Parampara Aur Pandit Bade Ramdas Ji Ka sthan Evm yogdan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विद्याधर प्रसाद मिश्र - Vidyadhar Prasad Mishra

Add Infomation AboutVidyadhar Prasad Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कलाकारों को भी लाये। इस प्रकार भारतीय संगीत को समूल नष्ट करने का प्रयास किया गया। फिर भी दक्षिण भारत में पं0 शारंगदेंव नें संगीत रत्नाकर नामक अमूल्य ग्रन्थ की रचना की। खिलजी य॒म (1290 से 1320 ई0 तक): চি ০ पय णः অত আপ भः सय ना সপ ছে পে मः अलाउद्दीन चिलजी के राज्य भँ अमीर खुसरो नामक एक प्रसिद्ध॒ संगीत थे, खुसरो ने करई ताल तथा नई रागं की रचना की। इस काल में मुसलमानों ने संगीत के शास्त्रीय पक्ष की अवहंलना करके केवल क्रियात्मक पक्ष की ओर ध्यान दिया। फलस्वरूप कव्वाली तथा तराना आदि प्रचलित हो गये। लोदी काल (1414 से! 1525 तक) টপ রক कः पाम সস মর मप वय का स गथा कण নে অত অত सिकन्दर लोदी संगीतज्ञों का आदर करते थे। इसं काल भं धूवपद , धमार, कव्वाली, गजल अदि प्रचार में आये। ग्वालियर के मानसिंह तोमर (1486 ६0) ने धृवपद शैली को जन्म दिया। ममल काल (1525 से 1840 तक) इस काल में संगीत म अनेक परिवर्तन हुए तथा अच्छे अच्छे संगीत के कलाकार तानसेन, स्वामी हरीदास, बैजू, रामदास, मदनराय, श्री चन्द जैसे उच्चकोटि कै कलाकार तथा अहोबल कृत संगीत पारिजात, लोचन कृत 'रागतरंगिणी' रामामात्य कृत' स्वर मेल कलानिधि' पं0 श्री निवास संस्कृत - रागतत्व विवोध' आदि उल्लेखनीय संगीत शास्त्र सम्बंधी ग्रन्थ लिखें गयें। इस काल में बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहॉगीर, शाहजहाँ , औरंगजेब : तथा बहादुरशाह जैसें बादशाह हुए, जिनके काल भै संगीत भ उनेर्का परिवर्तन हृए। साथ ही साथ नये नये गायन शैलियों जैसे- ख्याल, टप्पा, तराणा तथा ठुमरी का जन्म हुआ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now