लखनऊ मंडल में राष्ट्रीय आन्दोलन | Lucknow Mandal Me Rashtriya Andolan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)12
उस समय कसी ने भी यह ने মনা চি ल्खनऊ समझौते में कारस ने शक शेसे लिट्ठान्त
को पिलाणील दे दी थी णो उसके थे 1915 से पहले अत्यत महत्वपूर्ण था और बाद मे
शी रहा । वह चिट्टान्त था कि भारत न्दु ओर मसह्मान का सयुक्त स्य ह ।
साम्प्रदायिक प्रीतीनाधित्व गण्यता' के सिट्ठान्त तथा वधान महल भे साम्प्रदायिक नधधा-
पकार की स्वीक्मीत क्सो नेताओ की भ्यकरतम मुल सिद्द हुई । 3ग्रेजो ने कारेस ফল
लोग प्रेषित वैधानिक सुधानों की अवहेलना' करके उर्युक्त साम्प्रदायिक অন্তরা स्वीकार
कर लिया और महासुद्ध के प्रचातु उन्होंने भारत में जो' धारावाहिक सुधार आरम्भ क्यि
थे, उनकी अगली वकत्त में उसे लागु कर दिया । ल्दन के नीच निर्माता इस देय्ा के
दौ प्रय सम्प्रदाय यें वेमन्य पेदा करना चाहते थे तथा अलग मतदाता सूृतियां उन्हें अपना
मनोरम सिद्ध करने का अच्छा उपकरण प्रतोत हुआ |
तत्कालीन कारेम्ती नेताओं के बचाव में केवल यह कहा जा सकता था कि वे मुसलमानों
को दी गयों गरिघान्तों को केवल अस्थायी मानते थे और उन्होंने कारित और मल्लिम लोग
के बोच मन-मृटाव दूर करने का प्रयत्न किया' था । कदायित उन्हे यह आशा थी किरणों
मृतल्मान लीग के सदस्य बन ग्ये थे, उनके एक बार कांग्रेस के एसाव में आते हो, कारेस
हिन्दू मुस्लिम शकता की एक परियोजना बनाकर उनमे परस्वर सह्योग का वातावरण स्थिर
करने में सफल हो जायेंगो किन्तु राष्दरीय आदोलन के नेताओं को घोर निराशा हुई और
1920 के दधाक में मुस्लिम लीग काग्ेस के निकट आने की बजाय द्वर होती गयो । জীন
का साम्प्रदायिकता' के आगे ब्रलुकका और भारत राष्ट्रीयता' के मौलिक प्रश्न के प्रीत समझ्रोता
देश के प्रतीत अत्यत हाननिकारक तिद्ठ हुए । रमेपापन्द्र माबपार ने अपना मत আনত কট
हुए कहा' है 1915 में काञ्चित ने नी कार्य किया उसने 50 वर्ण बाद वाह्ताविक सूप से
पराक्ततान की आधारातणिता स्थापित की/---
संयुक्त पततम तीव्र गाँत ते चल रहे आंदोलन में मुततमान कांग्रेस के साथ थे ।
जनवरी ।१17 में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर ने मुतलमानों को' पेतावनी दी के ये शेसा
करेंगे ब्रो' उनके परस॒म्प्रदराय के हितों কী हातन यहुँपैगी । 15 प्म 1917 को मद्रास मं
प्रीमती रेनीबेंसेंट कह गगरफ्तारों ते उत्तर पुद्देधा के जिलों में रोध की तहर व्याप्त हो गयी
अनेक स्थानों' बर क्याओं का आयोजन करके सरकारी नीतियों की आलोचना की শমী |
1917 में व्यप्प्त घन उत्फेशना' को शत करने के त्यि, गये भारतीय জাখিল माटिस्यू
সততার? রর এহন রানি কেউ
1» শি দাতা 28 जनवरी 1175 ঘুও এ
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