स्वतन्त्रता के पश्चात् तंत्र वधों की उन्नति एवं अवनति का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Swatantrata Ke Pashchat Tantra Ki Unnati Evam Avniti Ka Vishleshanatmak Adhyyan

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Swatantrata Ke Pashchat Tantra Ki Unnati Evam Avniti Ka Vishleshanatmak Adhyyan by सीमा श्रीवास्तव - Seema Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संगीत-कला और स्थापत्य कला का तात्विक अन्तः सम्बन्ध अक्ष्ण टै । संगीत श्रव्य कला है, और तक्ष्मत्म कला भी तथा स्थापत्य कृयकला है, और सर्वाधिक स्थुल कला উ | इसीलिए पएलेगेल ने स्थापत्यकला को छुञ्नोजैन ! म्यूजिक” कहा है | काव्य और हंगीत कला ये ठोनों ही श्रव्य बलाएँ है संगीतकला में काव्यात्मतता और -यित्रक्त्यक्ता का समावेप्रा होता रहा था। रैली, ব্রিক, अभिव्यक्ति भं॑गिमा और पेष्णीयता के माध्यम की ठृष्टि से ललितक्लाओं में चाहे जितनी भिन्नता हो परन्तु < समा की न्रुष्टि वै सभी ललित कलाओः भ एक पुच्छन्व अन्तः सम्बन्ध है । इन ललित कलाओं मे तात्त्विक अन्तः सम्बन्ध का म्रलाधार स्वर-बौध ओर वर्ण-बोध का घारस्परिक सम्बन्ध टै । चित्रकला, संगीतकला और জাতক भे तात्ततिक समामम की क्षमता গা কাত রর 1 आम 1 1 0 पी धाम | सौन्दर्य शास्त्र के तत्व दौ8 इमार-विबल।, घु. 786.




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