अनुभव का आकाश | Anubhav Ka Akash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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আপন এ ^ টি উল + _ त~ তা শে आ जये नो 2 तीन देव बन्दऊ जगहन्तः निबन्धम्‌ कूच इसी प्रकार के संकेत मिलने हैं! चुगली कसी स्थिति पदा कर सकती है, इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल है--“इसलिए चुगली तेरा सत्यानाश लालफीते मे जकडी दफ़्तरी कार्यवाही को, और तो कोई क्‍या बदलेगा, भगवान्‌ भी नहीं बदल सकते । भगवान्‌ स्वय आज की इस व्यवस्था का एक और शरणार्थी है। इस विडम्बना पर ही निवन्ध-संग्रह सम्पप्त होता है। ये सभी निवन्ध हरियाणा प्रदेश के साहित्कारों की राष्ट्रीय सम- स्थाओं के प्रति सचेतता तथा जागरूकता को प्रकट करते है 1 कहा गया है कि आकाश असीम है किन्तु प्रत्येक पक्षी अपनी-अपनी क्षमता के अनुरूप इससे उड़ान भरता हैं। मुझे लगता है कि समकालीन जीवन स्थितियों ল লীন ढकराते हुए हरियाणा प्रदेश के इत सवेदनशील निवन्धकारों ने अनुभवो का एक विस्तृत जाकाण निर्मित किया हैं। अनुभवों के इस विस्तृत आकाश मे कूठ साहित्यकारों ने ऊंची उड़ाने भी भरी है और कुछ की उड़ान सीमित भी रहो है । किन्तू इतना अवश्य है कि इन सभो निवन्धों को पढ़कर मेरे मत का आकाश वडा हुआ दै । “भर मुझे पूरा विश्वास है कि इस निबन्धों द्वारा पाठकों के अनुभव का आकाश विस्तृत होगा । साहित्य की यही भूमिका है । লী मेंहदीरफ्ा 696, सेक्टर 11-बी, चण्डीगढ़-1 60011 ( ४ )




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