यूनान का इतिहास | Yunan Ka Itihas

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Yunan Ka Itihas  by जनन्दन प्रसाद मिश्र - Janandan Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खग ओर मादर आऔर पपिससे इत्यादि नगर बसाय जो आयेनिक कलोनियां कहलाती हैँ । अयन ( एटीका की राजघानी ) इन आयोनिक कछोनेयोँ का सरक्षक बंचता था यद्यपि एशेकाबारे जो गये हुए थ उनकी संख्या पलापानेसस के आयेगियनां से कम थी । इस के उपरान्त बहुत से ऐकिया वाल थी पेलछापोनिसल से चकछ दिये और लछसवास द्वीप मे और एशियामाइनर के पश्चिमी तट के उत्तर म जा बसे । परंतु হু प्रदेश में इन की कलोनियां एरकियन कलानियां कदलाये जान के बदले एओलिक कलानिया कहलाती थीं | जब समुद्र के उस पार के उत्तम जलवायु ओर भूम का उपज का हाल डोरियन छोंगां ने खुना तो वे भा जह्दाजा पर चलदिये ओर ক্ষার জী एशियामाइनर के पश्चिम तंट के दक्षिण थ॑ ज्ञा बसे । उनके बाय हुए नगरा को डोरियन कलोनिरया कदते हैं ओर उनमे रोडोज की कलोंनी सब से अधिक विख्यात थी। सो डारिसबाला के पेलापानिसस में आन से एकियन राजाओं की शक्ति, जिन का दवामर ने दा छिखा है, समाप्त है गई, ओर एछियामाइनर में बहुत से बड़े बड़े झादर बस गंय । परंतु हम को यह नहीं समझ छना লাইন कि डोरिसवाले एक साथ हा आ मय आर उस। है। समय उन्होने देकर जात लिया--ये दानों बात सेकडा साल तक देती र्दी दमी । १०--पेछोपोनिसस में डोर्सिवालों का दारदोरा--डोरियन লীগ सख्या म इतन तो यदी नहीं क्रि वे पेलोपोनिसस मर मे कैट जाते, सो उन्हने उत्तर मे कोरिथ की खाड़ी के किनारे पर एकियनों को बिना छड ऊङ्‌ कथि दाति पूर्वक रहने दिया । अतः यद्द प्रनत एकिया कहछाता था जोर इसमें




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