सर्प | Sarp
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
49
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
(१) ॥()1०9७)४ जिनके विपदन्त नहीं हैं---
(२) ()|॥51॥0१)|ए9)४8--जिनके विपदन्त ऊपरी जबड़े को
हड्डी (५४४9) के पीछे हेते हैं ।
(३) [010०९ ए७॥४ जिनके विपदन्त ऊपरो जबड़े को हड्डी
(४51) के सामने होते हैं-यही विभाग है जे। कि वास्तव
मे विपयुक्त सर्पो का समूह है ओर अभी तक जितन विपयुक्त
सप (वत, पित के पाये गये ओर जिनके काटनम
मनुष्यों की मृत्यु हा गई वे सत॒ सत्र इसी समूह में से हैं ।
सार संसार मे सयं प्राय: १,८०० क्रिस्म (/४॥८लं० के पाये
गये हें जिसमें स केवल भारतवप में ही १,५०० 1১০০৭ জিলন
हैं । इनमें से केवल ২ 1৮৭ विपयुक्त हैं बाक़ी विषरहित
हे । इन ६९ ১১1)০16৯ में ४० ])02605 तो पृथ्वी पर रहते हें
और वाक्री २९ ९८७ जल में वास करत हैं और जलनाग
कहलात हैं ।
विपयुक्त सब नीचे दिये हुए परिशिष्ट के अनुसार पाँच
भागों में विभक्त किये गये हें, कंवल एक [पिपा] 4১700101)-
४०७ है जा कि काचिन पहाड़--बमों में केवल एक मिला
धा । यह सप देखन में प्राय: विपयुक्त के समान है परन्तु वास्तव
में यह एक विपरहित सप है ।
विषयुक्त सपी के पहिचानने के लिए परिशिष्ट
१--जलनाग :-पूँछ चपटी हा (चित्र नं० ४) तथा मस्तक
भर में बड़े बड़े छिलके (७॥॥1००७) हा--(चित्र লও ০)
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