संक्षिप्त जैन इतिहास | Sankshipt Jain Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सकताक्षर सूचा । प्रस्तुत ग्रेधके संकलनमें निम्न ग्रन्थोंसे सहायता ग्रहण की गे है, जिनका. उल्लेख निम्न संकेतरूपमें यथास्थान किया गया है-- अघ०--अशौकके धर्मलेख-लेखक श्री० जनादेन मट्ट एम० ए० (काशी, सं० १९८० ) | | अहिर०“मर्खी दिष्टरौ माफ इन्डियाः-स विसेन्ट स्मिथ एम ए० ( चौथी मादृत्ति ) | गज्नोक ०८ अशोक? ले० सर विन्सेन्ट स्मिथ एम० ए०। आक०८ आराधना कथाकोष ? छे० ब्र० नेमिदत्त ( जनमित्र आफिस, सूरत )। अआजी०-आजीविक्स-भाग १ डा० वेनी माधव घारुआ० डी० लिटू ( कलकत्ता १९२० )। आसू०-“आचाराज्ञ सूत्र? मूल ( श्वेताम्बर आगम ग्रेथ ) । अहिइ०:-जाक्‍्सफड हिस्दी माफ इन्डिया -विसेन्ट स्मिथ एम.ए.1 इऐ०-इन्डियन ऐन्टीकेरी ( त्रेमासिक पत्रिका ) । इरिई०-इन्सायक्रोपेडिया आफ रिलीजन एण्ड इथिक्स दैस्टिगुस। इंसेजे०- इन्डियन सेक्‍्ट आफ दी जैन्स? बुल्दर | इंहिकबा०-इंडियन हिसटोरीकल क्वार्टर्ली-से० हैँ।० नरेन्द्रनाथ कलकत्ता | उद०-उवास गदसामो सुत्त०'-डा० हाणटे (81४1० 1एतात्प) उपु०व०उ.पु.८'उत्तरपुराण? श्री गुणभद्राचाय व ए.लाटारामजी | उसू०~‹ उत्तराध्यवन सूत्र ? ( खेताम्परीय आगम ग्रेव ) जार कार्पटियर ( उपसला )। एह०- एपिग्रेफिया इंडिका > 1




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