श्रीहर्ष के तार्किक ब्रहमवाद का परीक्षण | Shreeharsh Ke Tarkik Brahamvad Ka Parikshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
197
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शब्द, अर्थापन्ति ओर अनुपलब्धि रूप छः प्रकारों, के लक्षणों, का खण्डन किया गया । इसके बाद
असिद्ध, विरुद्ध, स्यभिचार, चरात्प्रतिपश्च ओर बाध इन पांच हेत्वभासों के लक्षणों का खण्डन किया
गया है ।
द्वितीय परिच्छेद मे प्रतिज्ञाहानि प्रतिज्ञान्तर, प्रतिज्ञाविरोध प्रतिबंदी और
अपसिद्धान्त इन पंच निग्रह स्थार्नोः का खण्डन किया हे।
तृतीय परिच्छेद म केवल किंशब्दा्र-के निषेचन का खण्डन किया है । चतुर्थ
परिच्छेद मँ भाव, अभाव, विशिष्ट, द्रव्य, गुण, कर्म विशेष, जाति (सामान्य) आधार,
विचय -विखयी भाव, भेद, करणत्व, वर्तमानादि काल, प्रागभाव, ध्वंसाभाव, संशय, भावाभाव -विरोध
ओर तर्क का खण्डनं किया है। इस तरह कुछ प्रमुख पदार्था का खण्डन करने के पश्चात श्री
हर्ष नै यह भी कह दिया कि जिन लक्षणों; का विस्तार भय से; यहाँ खण्डन नहीं किया गया
है, उनका भी इन्हीं युक्तियों या इन्हीं के समान अन्य युक्तियों से खण्डन कर लेना चाहिये | ।
खण्डन की टीकार्यें -
13वी शदी से लेकर ।9वी शदी तक खण्डनखण्डखाद्य पर अनेक टीकाएँ लिखी
गयी है। उनमें से निम्नलिखित टीकाएँ उल्लेख योग्य हैं -
टीकानाम _ लेखक का नाम_
| - खण्डनखण्डनमु - परमानन्द
2 - खण्डनमण्डनम् - भवनाथ द्वितीय
3 - खण्डनदीधिति - रघुनाथ शिरोमणि
4 - खण्डन प्रकाश - वर्धमान
5 - विद्याभरणी - विद्याभरण
6 - (विद्यासागर) खण्डनफविकाविभजन - आनन्दपूर्णं विद्यासागर
7 - खण्डनटीका - बलभद्र मिश्र पुत्र पद्मनाभ पंडित
||. ततुल्योहस्तदीषं च योजनं विषयान्तरे । खण्डन. पष्ठ 579.
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