कवि पंत और उनकी छायावादी रचनाएँ | Kavi Pant Aur Unaki Chhayavadi Rachanaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)৫৭1
नच्देद विवप
प्म जीवा दस्त ओर स्यकश्तित्व
जीवन वृत्त को आवश्यत्र ता, जन्म ओर प्रारम्भिक शिक्षा, खूल-
जीवम और बविन्जीवन का आरम्भ प्रालेज-जीवबन और कवि
वा प्रपप उत्थान, कवि-जीवन मे सपर्ष और आधिक सकट, कवर
सुरेशसिह णशे परिचय ओर बालाशाकर वा जीवन, चचल
अवस्थित जीवन ओर रेडियो मे पदापंण, व्यक्तित्व और स्वभाव ।
दितोय दम्त को छापायादोी रखनाएं और उनके
ड्यवितत्य इ1 श्रमिक विफास
बीणा, पग्रन्यि, पहलव মুল, ज्योत्स्ना (भावात्मक नाटक),
युगार्त ॥
सुताय स्बच्छन्दतावाद और छापावाद
१६वी धाताब्दी मे स्वच्छर्दतावाद का प्रादुर्भाव, स्वच्छ-दतावाद
को प्रमुख विशेषताएं, २०बी शताब्दी का आरम्म और छायावाद,
द्ायावाद का स्वह्प-निरूपण, द्ायावाद लौर स्वच्छन्दतावाद
का पारस्परिक सम्बन्ध छायाबाद और स्वच्छन्दतावाद का भेद ।
चतुर्थ दधापावाद को प्रमुख विशेषताएं
विषयगत प्रवृत्तियाँ (नारी सौन्दर्य और प्रेम का चित्रण, प्रकृति-
सौन्दयं और प्रेम-ब्यज्षणा, अलौजिक प्रेम या रहसस््थवाद का
निह्पण), विचारात प्रवृत्तियाँ (दर्शन के क्षेत्र मे बढ तवाद व
सर्वात्मदाद, धर्म के क्षेत्र भे रूदियों गे मुक्त ष्यापक मानव-हिते-
बाद, समाज के क्षेत्र मे समन्दयवाद, साहित्य के क्षेत्र मे ब्यापक
बलावाद ओर सोन्दर्यदाइ), शंजोगत प्रवृत्तियाँ (मुब॒तक गोतशेली ,
प्रतीकत्मक्ता, प्राचीन एव नवीन अलकारों का प्रचुर प्रयोग,
कोमल-बास्त सम्हत शब्दावली का प्रयोग) 1
विषयानुक्रमणिका 0
पृथ्ठ-सहया
१ = &
१०-४०
২০
५१-६२
User Reviews
No Reviews | Add Yours...