खेत की तयारी | Khet Ki Taiyari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जुताई
होती है वर्षोंकि इस समय की छुताई से भ्रूमि में
इत्तना फोकापन श्रा जातत है कि वह वर्षा का जल लेकर
पर्याप्त नमी को प्रहृष्ट कर लेती है तया खाद तत्वं
को शीघ्र ही पौधों के प्रयोग मेग्रानि योभ्य चनारेतो है।
जुताई करने से पूर्व भूमि को जाति को भी भली
भांति देख लेना चाहिए (कि वहु कसो है, तथा उसी
फी दृष्टि से योग्य जुताई करतो चाहिए धर्थात् यदि
भूमि अ्रधिक कड़ी होती है तो जुताई भी गहरी करनी
होती है भ्रोर यदि भूमि रेतोली होतो है तो जुताई
हल्की करनी होतो है । कड़ी भूमि फी जुताई कई यार
करनी चाहिए श्रौर रेतीली भूमि फो जुप्राई भ्रधिक
আহে करने को आवश्यकता नहों होती श्रतः उयलौ
সীহ ছাল वार ही करनी चाहिए। जुताई के लिए भूमि
का बुछू नम होना तो श्रच्छा रहता है किन्तु जो
भूमि गोली रहती हो उत्तको जुतई नहीं फरनो
चाहिद् क्योंकि ऐसी भूमि छुताई करने से खराब हो
जातो है भौर पतौ योग्य महीं रहती । ऐसी भूमि की
जुताई उस समय करनी चाहिए जब मौसम सें
गर्माई হী प्रर मिट्टो कुछ शुष्क सी हो जाए, साथ हो
साथ जिन पेतों की मिट्टी में घास-पात प्रधिक रहता
हो वहां इस धास-पातं को नष्ट करने षेः लिए जुताई
= 1.1 =
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