जीवन संध्या का स्वागत | Jivan Sandhya Kaa Swagat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवन मंदिर का सुवर्णकलश
वृद्धावस्था” से मुझे कोई डर नहीं । क्योंकि मुझे बुढ़ापे का भय भी
नहीं है, उससे घृणा भी नहीं है । मेरे मन में बुढ़ापे के प्रति गहरे आदर
की भावना है, क्योंकि बुढ़ापा मेरे जीवन-द्वार पर दस्तक दे, उससे पहले
ही मैंने उसके स्वागत की पूरी तैयारी कर ली है - कितने लोग हैं जो ऐसा
कह सकेंगे ?
कैसी तैयारी ?
सबसे महत्व की बात है - वृद्धावस्था की ओर देखने की अपनी
दृष्टि | हमारे जीवन में “तिथि” निश्चित करके आने वाला यह अतिथि
हमारा जिगरजान दोस्त भी बन सकता है और आत्मघातक शत्रु भी सिद्ध
हो सकता है । इसका आधार तो हमारा दृष्टिकोण है । किसी दिन दर्पण
में हमारी नजर अचानक बालों से झांकते चांदी के तारों पर पड़ जाये तो
हृदय की धड़कन रुकने लगेगी या ओठों पर मुस्कुराहट खिलेगी यह तो
हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा यदि हमने मानसिक रूप से स्वयं को
सावधान कर लिया है तो हम मुस्कुरा देंगे, वरना शायद आंसू निकल आयें
बेहतर यही है कि हम अपने मन को इस तरह तैयार कर लें कि वृद्धावस्था
का स्वागत कर सकें, उसे जीवन के आंगन में उगा अनमोल रल समझ
सकं ।
सफेद बालों का मूल्य
এ गुजरात के एक प्रसिद्ध साहित्यकार के जीवन की यह घटना है । `
स्व० श्री रक्षिकभाई इवेरी एक बार इग्लैड गये । लंदन कं मार्गो पर
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