हिंदी उपन्यासों में भाषा का सर्जनात्मक स्वरुप | Hindi Upanyason Mein Bhasha Ka Sarjnatmak Swaroop
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
366
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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विभिन्न स््थितियी कौ सूपायित आर् सम्धैिषित ही नहीं करते हैं वरन् हमाईँ
विचार वस्तुतः शब्द कै द्वारा नियीजित एव निधारित हाँवे हैं तथा वै ही
विचार सम्प्रैँषित रुव॑ त्नुभृत किए जाते हैं | एसी माली कौ बगीचे यै काम
करता हरा ठं कए जब हम यह महसूस कतै हैं कि यह बगीचे मैं काम करने
वाला माली हतौ हमारा यह अनुभव भाषाबद्ध ही होता है| আল: গনী
और विचार कौ শব শ' তী अलग करके दैसा' ही नही जा' सकता' | यह जानते
हुए भी कि भाषण का' सम्बन्ध विचार হর্ন अनुभव से है फिर भी हम कहते हैं
कि भाष1 घटनाओँ रव॑ स्स्थितियी कौ सम्यैषित कती है । जबकि वस्तुस्थिति
यह है कि भाषा किसी भाव या विचार कौ सम्धैषित नदीः कती बालक
वै भाव या विचा इसीलिर हतै & कि वै मानस चै माषबदरह्तै &। वै
स्वर्यं विभिन्न शारीरिक खव मानसिक प्रक्षियाओं दगरा निकलते हैं, अभिव्याजित ह
हीते ह जसा कि गैस्टाल साइकौलौजी জাতী मानते हैं इसलिए माध्यम भाघ
नहीं है, माध्यम है अभिव्यजना' या' कि स्वय॑ पृयौव्ता या सर्जक ।
भाषः की प्रारम्भिक अवस्थाओं मैं विभिन्न 'स्थितियाँ का' प्रयाग
कयि जाता है । जब किसी विशिष्ट वस्तु से कौई प्रतिक्षिया' कसी व्यक्ति कौ
होती है ती' वह उसे एक विशिष्ट नाम दैगे की चैष्टा' करता' है और इसके फल-
स्वरूप ही रूपक और मिथ का प्रयग हौता है । मनस ऋ भाष का यही
रूप मानस के विस्तार से सम्बद्ध है। हम त्रपनै भाविक संगठन कै आधार पर्
ही कसी वस्तु की गृहण क् सक्तौ ई । डा० ईह० टी० जैन्डलीन नै इस विषय
पर विचार करते हुए प्रथम को' श्नुभूत अर्थं ऋरीर् दुसर् कौ प्रतीक कहा ई | उनका
कथन है कि अनुभूत त्र्थ और प्रतीका की क्या प्रतिक्रिया' से ही चिंतन आगे
बढ़ता' है। उन्होंने दुढ़ निश्चय के साथ अपना' यह मन्तव्य रखा है कि -~“यह
सदा' मालूम हौगा' कि हम बात कर सकते हैं, हम জাল জা चिंतन प्रतीकौ मैं! कर
सकते ষ্ আঁ समी प्रकार के ज्ञान मैं आवश्यक हूप से अर्थ का' अनुधुत आयाम कार्य
करता है श्रीर् यह श्रनुभूत अर्थं सदाः भाषया ही हती है, शब्द समूह नहीं ।” है
फक अनीतिः भि कति ल এন কা ধারা গাডার রা বার বরা: ধরার तिदिः ঈদ রাজা রাজী দার কানা पिकः जि अते सेनि मभ किलो হাজার চারা मोजः नं निके सजने सोतं से सि টির জট জার ভাল ওর আগার গারাঠ বাঁচার পাতা পচা খান পরা দাতা আরা নারদ উতর জরা রা আগার রাহা গাজা আতা এরা, জাজ উজ
ঢ
६ ভাও है टौ जैन्दलीन- एवसौ रिरि एण्ड मीन, पुण ६
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