गाय ही क्यों | Gay Hi Kyo ?
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१३
[ ११
कोई भी जातियां देश गायके बिना उच्च सभ्यता नहीं
प्राप्त कर सको है । प्रथ्व्री पर सत्र से अच्छा पोपण गाय
সস স্ব
पेदा करती हैं। घास पाव खाकर आरोग्यशक्ति ओर पोषण
देने वाले दुःधान्न देती है | जहां याय है वहीं सभ्यता
चढ़ती है, पृथ्वी उपजाऊ होती है, घर अच्छे बनते दे
ओर অন্তুচ্দাক্ষা ऋण चुक जाता है। (कल्याण के गो भद्धषे)
-एल्फ ए० देहने
[ १२ ]
गो बिता ताज की महारानी है, उसझ्ा राज्य सारी
समुद्रवसना प्रथ्त्री पर है। सेवा उसका विरद है । ओर जो
द बह लेती है, उसे सौ गुना करके देती है।
< कल्याण गो अद्ध से ) --श्री मालक म० आर, पेटसेन
अमरीका टेनसी प्रान्त के गवेनर
[ १३ |
गायदही सभ्य मानव समाज कौ धायरडै) करिक्तीभी
देश की सभ्यता की उन्नति का अनुमान करने के कई साधन
चताये जाते हैं। कहीं लोग पुत्तकों पर से ही मानव सभ्यता की
कल्पना करते ई । की धमे मन्दरो को ही प्रदानता दी जाती
है। किन्तु गाय द्वारा ही संस्कृति का अनुमान लगाया जासकता
है | हमारी सभ्यता तो गोप्रधान सम्यता ही है। जहां गी वंश
उन्नत न हो वहां जाति का गुजर नहीं हो सकता 1 ( गोरद्ा )
€ कल्याण गो अइसे ) --श्री मिलो हेल्टिंगस 1
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