साम्यवाद ही क्यों | Samyavad Hi Kyon

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Samyavad Hi Kyon by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मनुष्यकी उत्पत्ति और विकास श्भ्रू नेत्रंड थे ल मनुष्य _उस समय भी मौजूद था तो भी दोनॉका रक्त- सम्मिश्रण न होना शायद नेश्रंडर्थलकी कुरूपता श्और वीमत्सताके कारण हो। क्रोमेशन्‌ मनुष्य शिकारी था । एक प्रकारके छोटे घोड़े उसके प्रधान खाद्य थे जिनके कि लाखों ककाल सोजुनर आदि स्थानोंमे मिले हैं । स्पेनकी गुफाओंमें इनके बनाये अनेक चित्र भी हैं । ये चित्र बहुत ही अचिरी जगहमे हैं जिससे पता लगता है कि ये दीपकका भी प्रयोग करना जान गये थे । वह सुर्देको दवाया करते थे मिट्टीके खिलौने बना लेते थे किन्तु उन्हें बर्तन बनानेका ज्ञान न था । इससे झ्रनुमान होता है कि अभी मास आदिको पकाकर वे खाना नही जानते थे । जिस समय क्रोमेग्नन-जाति दक्षिण-पश्चिमीय यूरोपमें वास करती थी उसी समय रायपुर जिलेके सिंगनपुर तथा दूसरे प्रदेशोंमें भी श्रादमी निवास करते थे। इन्होने भी श्पनी गुफाश्ोमें अनेक चित्र और छिले पाषाणोंके दृथियार छोड़े हैं । दोनोंके चित्रमे सिफा जंगली जानवरों तथा शिकारके दृश्य दी मिलते हैं जिनसे मालूम होता है अभी इन्हें देवताओं और धर्सकी कल्पना नदी हुई थी । शायद अभी वे भाषाकों विकसित न कर सके थे । भाषाके बिना परम्परा और पुरानी कथाशंको एक पीढ़ीसे दूसरी पीढ़ीमे कैसे पहुँचाया जा सकता हे १ परम्परा श्और कथाएँ ही तो देवताओं श्र धर्मकी सष्टि करती हैं | बारदद हजार वर्ष पूर्व मनुष्योर्म एक नई प्रगति दिखाई पढ़ती है। व मनुष्य छिले पत्थरोंके इथियारके स्थानपर घिसकर चिकने किये पत्थरके दृथियारोका प्रयोग करता था । इसी कारण इस युगकों नवपाषाण युग त००घ८/70%0 40४ कहते हैं । इस युगके साथ भूरे रगकी इवेरियन जाति द्रविड्-जाति इसीकी एएक शाखा कही जाती है इस युगमें अयु्ा है । इस जातिका मूल स्थान भूमध्यसागर की पाश्वंवर्ती भूमि थी । चतुर्थ हिम-युरासे पूर्व यह प्रदेश बहुत ही हरा- भरा था। झूमथ्य-वासी भूरी-नाति तब तक झपनी भाषाकों किसी दृदतक विकसित कर चुकी थी । आगे चलकर उसकी सन्तान उत्तर दक्षिण




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