विवेकानन्द साहित्य जन्मशती संस्करण खंड 10 | Vivekanand Sahitya Janmshati Sanskaran Khand-x
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ मेरा जोन त्या प्येय
में जिन विचारों का सन्देश देना चाहता हें, वे सच उनके विचारों को प्रसि-
घ्वनित करने की मेरी अपनी चेप्टा है। दसमें मेरा अपना सिजी कोर्ड नी मौलिक
विचार नहीं; हाँ, जो कुछ असत्य अयवा बुरा है, वह् अवद्य मेरा ही है। पर हर
ऐसा शब्द, जिसे मैं तुम्हारे सामने कहता हूं और जो सत्य एवं युम है, केवल उन्दी
वाणी को सकारे देने का प्रयत्न मात्र है। प्रोफ़ेसर मेक््समूलर द्वारा छिसित उनके
जीयन-चरिप्र फो तुम पटो 1!
बस उन्हींके चरणों में मुस्े ये विचार प्राप्त हुए। मेरे साथ और भी अनेक
नवयुवक थे। में केवल वारक ही था। मेरी उन्न रहो होगी सोलह वर्ष की, गु
और तो मुससे भी छोटे थे और छुछ बड़े भी थे---छलगभग एक दर्जन रहे होंगे, हम
सब। और हम सबने बैठकर यह निश्चय किया कि हमें इस आदर्श का प्रसार करना
है। और चल पड़े हम लोग--न फेव्ल उस आदर्ण का प्रसार करने के; लिए, অল
उसे और भी व्यावहारिक रुप देने के छिए। तात्पय यह कि हमें दियकाना था
हिल्लुओं की आध्यात्मिकता, बौद्धों की जीव-दया, ईसादयों की क्रियाशौलता, एवं
मुस्लिमों का वन्धुत्व-और ये सब अपने व्यावदारिक जीवन गः माध्यम द्वारा ।
हमने निरय किया, हम एकः सावभौम धर्म का निर्माण करेंगे--अमी और गा
ही। हम स्मे नही।'
५ ৮
কপ
हमारे गुर् एष নূন বি, আ কে লিনানা শী কী हाथ से नही इसे थे।
जो झुछ घोड़ा सा भोजन दिया जाता था, ये उसे ही से छेसे थे, और कु मख
पपडा--भपभिक छुछ লতী। उन्हें और झुछ रगीगर करने के लिए कोई प्रेरित ही
से कर पाता सा। इन तमाम कनोशे विचारों से युक्त होने पर भी ये दऐ सनृशासन-
गठोर थे, गयो कि इसीने उन्हें मुक्त किया घा। भारत का सन्यागी धाए शा पग
मित्र है, उसे! साथ भोजन करता है, तो का बह शियारी मे साथ है सौर सारण
सो जाता टे। उसे प्रत्येफ गायित से सम्पझ रघापित करना है, उसे सदेए घरभे री
হলো है। फाप़े ट--डुशकमसे पत्मर पर कई कहा 2 अपने जीयनस লন বাহ
यों में मैं एफ स्थान पर एक साथ কিন বি লহা
ঘা मे कना ना म হো निपर छुछ सप तलि म्म् म सद्द হায় নল स<
द्रमय ही झरता रागा। 7_ग मयय सब गही झारते ह।
इन सूददा भर নুন ने इन विनामो य अग् उनम निम सभी
লা > পপ = र~ ক্ষত এ এ 3 क)
धयाए्गरिश निध्कयों টা লানাহা। লাবমীনি় অধ, হানা মি লাল पीर
হী में ~ त मनत रे
१. संबंधों भाषा में खिशित তালহা 2 दिए राह ऐरड मनुत शो
पहुे १८६६ में साय से प्रराशित हुई আহে विन्ता पुनमुरय १९५१२ यय
राम ने क्या ||
User Reviews
No Reviews | Add Yours...