हेमानी | Hemani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उद्बोघन `
सेठ हया वेडोढ साथी, पेट वण्यौ ই ढोल
ब्दा मनत री ज बोल
मनत सू थे धन निपजावौ, पण अ्क्कल रौ घाटौ
राजा, ठाकर सेठ सिपाई, सगा च्राटे चाटौ
जद थे उतरो खम खोल, साथी यानै दो रगदोक्
बदा मैनत री जै बोल
राजा, ठाकर, सेठ, श्रैलमद, निरभे मौजां सार
मुलक-मुलक में श्रेकश ढाल, कृमतरिया ने तारे
तू मन मे मत कर मोक़ साथी, सारी दुत्ियां गोछ
बदा मैनत री जय बोल
धू-धू कारौ मच्यौ जगत में, जूना भाखर धूजे
मोख्यारी घर मच्यौं उछातछौ, बूढा ने कुण बृभे
आ फइडे घुछग्यों घो८छ साथी, काचो टिके न भोल
बदा मैनत री जे बोल
थे गिणती में घणा भायला, हाके सू क्यू डरपौ
गिरती रा तिणखा है च्लुगलो, ब्राढेती ले कड़पो
ये धरौ धमक नँ धौल साथी, करट्रो वीटा गोठ
बदा मन्त री जे बोल
लाल धजा री श्रां फिरै
श्रा लाल धजा री भ्राण फिरै, जद कमतरियां री दसा धिर
वीत्या जुग सनत करतां नँ, धरती धरन निपजातां नं
माखण माल मुफत मे जातां, छाछ मलीच्रो खातां नं
अबे हथोड़ी-दांतड़ली, धन घरती री धघरणियाप करे
डिगमिग डोल स्या रजवाड़ा, बडे राज रौ ज़ोर गयौ
ठाकर फिर ठलोकरां खाता, बडो रावल्ौ विगड़ रयौ
जाग गया धरती रा धायल, हृक्स धारये हाथ धरे
सेठां री सैणप सड़ चाली, बात विगडगी बोहरां री
चाल उकीली चवड़े हुयगी, पोल खुली सा चोरां री
अणभरणिया आथड़वा ढूृके, धरती घूजे सूम डरे
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