शतावतार | Shatavtar

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Shatavtar by मुक्कामला नागभूषण - Mukkamala Nagbhushan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शत अवतार इसके अतिरिक्त रामायण तथा महाभारत ने भी कई रूप धारण किये उनमें अनेक प्रक्षिप्त अश्च विद्रसमान ठ. पाषाण युग के समय के कुछ प्रमुख प्रसगा सं लेकर आठबी सदी तक कं मुख्य अग उनम पाये जाते है. दोना मै असमव कल्पनाएः हौ, उनको अभरश्षः सत्य মাললবাল श्रद्धालु भी ह. बूहूमांड एवं पाराशर उपपुराण का आधार दिखाकर थह तर्का करने वाले महाशय भी मिलते ह॑ किं शतर्कोटं ्लाकयुक्त रामायण देव, गंधर्व आदि लांको' मे क्रमश्च. पचास करोड, दस करोड आर अतं मे एक करोड़ इलाकों का ग्रथ/ बन गया फिर सिर्फा २७ हजार इलांक वाला ग्रथ লালন लोक मेँ प्रचालत हुआ. जो लोग इस कथा पर विश्वास कर लेते हाँ कि हनुमान धनुष्कोटि स॑ उडकर लका भें कद थे आर उस्र सपय भे उनके शरणैः से पसीने की एक बूंद समुद्र में गिरी, जिसे निगलने के कारण एक मछली के पेट से मत्स्य, बल्‍लभ का जन्म हुआ, उनके किसी भी असभावित विषय पर विश्वास करने में सदेह ही क्‍या हो सकता हाँ ? गायत्री रामायण में लिखा गया हाँ कि रामायण चाॉँबीस हंजार श्लोक तक सीमित हाँ, गायत्री मत्र के चाँबीस वर्ण क्रमश शाभायण के एक-एक इलोक के प्रारम्भ में उपलब्ध हँ रामायण के अतकोरट इलोक युक्त हानं का उल्लेख उसमें नहीं हाँ श्री' जाकोबी, श्री कैद जसे विद्वानों ने इलोकों का उदृधरण देकर सिद्ध किया हाँ कि रामायण के चांबीस हजार इलोकीः मे से केवल छ- हजार ই নাকদীক্ষি-ন্বিন ह॑, वाक अटारह टजार शनीक दूसरों क्वारा लिखित দাঁঘিলে জহা ভঁ লজ अलावा सस्कृत रामायणों में' कई पाठ-भेद भी पाये जाते हा, अन्य पाठ-भेदों को छोड दीजिए, तो भी बबर्ड, कश्मीर तथा बंगाल की प्रौतिया कं पाठां पे कटक भेद दृष्टिगत होते हाँ, श्री जाकोंबी ने सिदृध किया हाँ [के लगमग आठ हजार एसे इलांक हो जो एक पाठ में हो, दूसरों पाठ में नहीं हाँ एकमे जः सर्ग हं. कै दर मे नही हं चात्मीकि रामायण कं अतिरिक्त भवमूति रचत उत्तर रामचरित, भास्कर शपायण, अगस्त्य, रगनाध, वशिष्ट, वरदराज, मल्ल, दुर्वसा, कन, कृत्ति- १७




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