शोध प्रबन्ध भाग 2 | Sodh Prbandh Bhag 2

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Acharaya Shreeramsharma Kay Jeevan Darshan Sey Prabhivit Samkalin by डॉ रामस्वरूप खरे - Do Ramsvrup Khreपं लछमन लाल त्रिपाठी - Pandit Lachman Lal Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मम 'जन-जन में जग में जीवन लगन लगे ऐसी 7 सदभावों का हो संचार। पाएं तेरा .......... नम के. मिलता उसको ही प्रभु प्यार, जो करता है. आत्मसुधार | ईश्वर को सत्कार्य पसन्द, नहीं चापलसी छल-छंद निश्छल सेवक बनें उदार। पाएं तेरा................. (“पाएं तेरा निश्छल प्यार” शीर्षक से) नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविन्दा। करो नाम जप रोज प्रेम से, मनका धोओ नित्य नेम से। मन प्रभु को पसन्द है, मत कर मन को गंदा। भेजो रे सन ......... नहीं कुछ पाया, सत्य मार्ग तो समझ न आया। भु का बेंदा । भजो रे मन ......* ज अब तो मत ठोकर खा पगले, बन जा प्रभ सद्विवेक अब तो अपना लें, कुछ तो सतकर्तव्य निभालें। भवबन्धन का-लोभ-मोह का, कट जाएगा फंदा। भजों रे मन ....... (“भजो रे मन गोविन्दा” शीर्षक से संकर्तन) प्रेम से जप लो प्रभु का नाम, लगन से' करो उसी का काम बोलो राम सीताराम, बोलो! श्याम राधेश्याम 11 सुख औरों तक पहुंचाएं, सदा पराई पीर घाटाएं। ऐसे नर भुदेव कहाते, स्वर्ग इसी जीवन में पाते।। अपनाते यह नियम वही नर, होते पूरन काम । बोले राम ........ विवेक उमगाएं, घर-घर जाकर अलख जगाएं। ज्योति जलाएं, धन्य बनें और धन्य बनाएं।। इस पथ पर, बढ़े चलें अभिराम। बोलो राम .......... _ (“प्रेम से जप लो प्रभु का नाम” शीर्षक प्रभु के सुन्दर है सब नाम, सारा जग है उसका धाम। लो राम राम राम, भज लो श्याम श्याम श्याम 11. वही राम है, वहीं परम प्रभु वही श्याम है ही खुदा रू कही है, वही बुद्ध धनश्याम। जप कक कक कप, !. को के के की कान के की क के: कर न जा १६: | कक करके कककक पं ५




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