विश्व की प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास | Vishav Ki Prachin Sabhyataon Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
698
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आदि मानव का ईंतिहास [ ४
आदि मानव का जीवन बहुत-कुछ पश्मुओं से मिलता-बुलता था, हालाकि
उसकी सूअ-बूझ्ष पशुओं से अधिक थी। विद्वानों की अनुमान है कि अपनी
अमभ्यावस्था में मनुष्य ग्रुफाओं में रहता था, कंद, मूल, फले तथा कच्चा
मांस लाता था तथा जानवरों की लाल ओोढ़तां था । प्रकृति के साथ संघर्ष
तथा जीवन-यापन के संघर्ष के कारण आदि मानत्र की यूझ-बूझ बढतों गई
तथा उसने धीरे-धीरे सम्मता के मागं पर अपना केदम बढ़ाया । इस असम्या-
बस्था के इतिहास को सुविधा के लिए तीन भागों में बाँठा गया है।
पृष-पाषाश युग
जिस काल में मनुष्य ने अपने जीवन-ग्रापतर की आवहयकताओ की प्राध्ति
के लिए पत्थरों का व्यवहार करता सीखा, उस युग को 'पूर्व-पापाण युग' की
सआ दी गई है। पत्थरों को घ्रिस कर वह अपने हथियार बनाला था । इन
हथियारों को फेंक कर वह जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करता था। इन्हौ
हथियारों के द्वारा शिकार से वह अपना भोजन भी जुटाता था ।
इस युग का मनुष्य बबर और जगली था। उसका सामाजिक तथा
শালিক जीजन विश्रु खलल था ! वह जानवरों की तरह कच्चा मांस खाता तथा
गफाओ में रहता था। उसका मुख्य भोजन फल-मूल तथा कच्चा मास था।
धह में बढ़ भपना शरीर नही ढंकता था, पर धीरे-धीरे उसमे लज्जा का भाव
यन्न हुआ ओर उसने शरीर ढेकने की आवद्यकता महसूस की । उसने पेड़ों
की छान, पत्तो या जानवरों की खान पहनना और ओढ़ना प्रारंभ किया ।
पत्थरों के साथ घनिष्ठ संपर्क ने मनुष्य फो आग पैदा करना सिखाया ।
इसी घुग में पत्थरों को घिस कर आग पैदा करने का ज्ञान मनुष्य ने प्राप्त
किया । यह इस युग की सबसे बड़ी उपलब्धि थी, जिसने मनुष्य को क्रमशः
सभ्यता के मागं की ओर अग्रमर किया ।
आग पदा करने के ज्ञान ने मनुष्य के जीवन मे बड़ा परिवतंत ला दिया ।
अब वह कच्चे सांस को जगह मास को भून कर खाने लगा। शीतकाल
में आग जला कर उसने ठंढक का मुकाबला करना शुरू किया | अतः, आग
का ज्ञान इस युग के मनुष्य के लिए वरदान सिद्ध हुआ ।
इस युग के मनुष्य में उस विवेक का जन्म नहीं हुआ था, जो सामाजिक
व्यवस्था तथा धामिक चितन का जनक है। सामाजिक जोवन विरु लल
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