लघुकाव्यमालिका | Laghukavyamalika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं रामचन्द्र शास्त्री - Pt Ramchandra Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)13
“ उपप्लुतेषु प्रसभ॑ जनेषु
देशान्तरेषु भतियक्षवर्गैः ।
महीधराः केचन वीक्षमाणा:
तस्थु रनामा खु निर्विरोषम् ॥ १९
^“ युद्धाय केच्ययुस्तदन्ते
प्राङ् निश्चल इन्त! यथा तखाः |
उपेक्ष्य पूरेण स्खद्यननं
र भै १1
न ৯ [| ক এ শু ৪৩০ ৪ কন ৮
तमद तारशंतशुछरन्त+ ॥ १० ॥
“ ज्याजस्तु सामन्तनृपै स्सभेतो
न तल किचित्मुमोह धीरः
यथोपरागं सहसा$भिपन्ने
नक्षत्रवृ न्1 स्साहित स्खुधांशुः ॥ २१ ॥
“ राजा तता न स्समरान्नन्र्तो
विनिगेतों राहुघ्ुखान्च राजा |
उभावपि उज्यां वशमानयन्ती
मिथो जगयाम्ुपमानभृती ॥ २२ ॥
'' ज्यामाजेयलात्मगु णरनर्घ
এ {जं से টং नच ; द्ठ ~.
अ्याजायमवेति च तददन्ति ।
तत्पेडितानामपि योगरूढ्यो
भूयो बीयरत्व देति शङ्का ” ॥ २६ ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...