आधुनिक हिंदी साहित्य | Adhunik Hindi Sahitya

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Adhunik Hindi Sahitya by क्षेमचन्द्र सुमन - Kshemchandra Sumanविजयेन्द्र स्नातक - Vijayendra Snatak

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क्षेमचंद्र 'सुमन'- Kshemchandra 'Suman'

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विजयेन्द्र स्नातक - Vijayendra Snatak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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িছাললীক্ষল ` लिखी । इसी धारा के कवियों से पिछली धारा के कवियों को प्रबन्ध-काव्य की शली का भी निर्देश किया | सग्रुण धारा में राम-भकिति और कृष्ण-भक्ति नाम की दो |काव्य-प्रेरणाश्रों : ने कार्य, किया । पहली के प्रमख कवि तुलसीदास और दूसरी के सूरश्स हैं। तुलसीदास नें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन को लेकर “रामचरित मानसः की रचना की । यह महाकव्य विश्व के काव्य-साहित्य में अपना विद्येष स्थान रखता है। इस धारा के कवियों में नाभादास, हृद्यराम श्रोर प्राणचन्द चौहान आदि कवि भी -हुए हैं, जिन्होंने राम-काव्य की रचना की है । महाकवि केशव ने भी 'राम-चन्द्रिका' नाम का एक रीति-म्रन्यथ लिखा । अलंकार-योजना, छन्दों की छठा तथा गति आदि ग्रुण केशव के काव्य की विशेषताएँ हैं । ईसा की चौथी सदी से कृष्ण देवता के रूप में माने जाने लगे थे । समय के साथ ही क्ृष्णु-भक्ति का प्रचार भी बढ़ता गया और वासुदेव (कृष्ण) भगवत्‌ घमं के देवता के रूप में प्रतिष्ठित हुए । जयदेव का गीत गोविन्द' इसी कृष्णा-भवित्त-सम्बन्धी गछ गार-भावना का उत्कृप्ट उदाहरण है 1 षन्दरहवीं दाताब्दी मे वियापति (१४६० के लगभग) में कृष्ण (श्ंगारी) काव्य की रंचना की । सोलहवीं शताब्दी ने वल्लभाचार्य (संवत्‌ १५३५ से १५८७ तक) ने देश-भर में कृष्णु-भक्ति का प्रचार किया । कछृष्ण-काव्य में मीरा की कविता का स्थान बहुत ऊँचा है | वह छष्ण के प्रेम में सदा तल्‍लीन रहती, मौर कृष्ण प्रेम की बेल को आँसुओं के जल से त्वींचती रहती थी। सूरदास कृष्ण-काव्या- काश के ज्वलन्त नक्षत्र हैँ 1 उनके विना कृष्ण-काव्य ही प्रधूरा रह जायगा । उनकी रचनाओ्रों में वात्सल्य और श्यंगार (संयोग और वियोग दोनों) रस का चित्रण बहुत ही उत्कृष्ट हुप्ना हैं। सूरदास के समान उत्कृष्ट तथा स्वाभाविक वात्सल्य रस का वर्णाव करने वाला दूसरा कवि कदाचित ही हो । उनकी धारा के कवियों सें नन्ददास तथा रसखान आदि के नाम उल्लेखनीय हें । शव गार-युग हिन्दी में सर और तुलसी के समय तक साहित्य की इतनी अधिक अपभि- व्यक्ति हो छुकी थी कि कुछ लोगों का ध्यान भाषा और भावों को अलंकृत




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