श्रृंगार विलासिनी | Shringar Vilasini

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Shringar Vilasini by जी. सी. दीक्षित - G. C. Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महाकवि देवजी का आात्म-परिचय यान: जन्म. भ्रणम्थ परमात्मानं, गिरानन्द च सद्यरुम्‌ । देववाणी चिलासाय, ग्रन्थ; सम्पाद्यते सया ॥ जन्म प्रतिभाशाली मद्दाकवि देवदत्त उपनाम “देव” ली का शुभ जन्म विक्रम सम्चत्‌ १७३०७ में हुआ था । उन्होंने स्वयं वपने इस जन्म सम्बत्‌ का संकेत “भाव विलास” नासक ग्रन्थ के छान्त में इस प्रकार किया है । कल “शिवसिंद सरोजकार” ने सं० १६६१ में झोर “भारत के घुरन्घर कवि” के लेखक ने ई० सन्‌ ११८४ अर्थात्‌ वि० सं० १६४१ में और “हिन्दी फाइनल रीडर” में सं० १६७४ में जन्म माना है अतः यह तीनों समय इसलिये भ्प्रमाण्य हैं कि देवजी के स्वयं ज्िखित सम्वत्‌> म्संकेत के विरुद्ध हैं ।




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