अष्ट छाप - पदावली | Astchhap Padavali

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Astchhap Padavali by सोमनाथ गुप्त - Somnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० सूरदास देखि सुख मजनारि हरि संग अमर रहे झुलाई। ০ ৮ [= বা, জি च र प्रथु के चरति अगणित बर्णि कापै जाई ॥ २१ श्यामा श्याम सुभग यद्टूता जहनि भ्रमि करत विहार । पीतं कमल इन्दीवर मान्यो भोरहि मये निहार ॥ श्रीराधा अँबुज करं मरि भरि छिरकति बारंबार । कनकरुता मकरन्द श्वत मानो हालत पौन संचार ॥ अतसी कुसुम कलेवर হই प्रतिविमितं मनोहर । ज्योति प्रकाश सुधन में खेलत स्वाति सुमन आकार ॥ ঘাহ घेरे दृपभालु सुता हरि सोहे सकल धंगार। प्रिद्युत्‌ जलद सर मानो धु भिि अवत सुधा की धार ॥ र्‌ आजु बनो प्रिय सूप अगाध | पर्‌ उपकार श्याम तच धारो परवत सब मन साध ॥ धर्मनीति यह कहौ पढ़ी जू हमहूँ बात सुनावहु। कहो कहाँ काको सुख दीन्दों काहे न प्रकट यतावहु ঘানি उपकार करत डोलत हो आजु बात यह जानी । खर इयाम गिरिधर युण नागर अग निरखि पहिचानी ॥




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