राष्ट्रीय विकास की सरल रूप रेखा | Rashtiy Vikash Ki Saral Roop Rekha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राक्रीयता का प्रादुभौव [ ५
प्रान्तीय माप्राश्रो का उपयोग दोताथा एव अंग्रेजी शासन की तीत्र
श्रालोचनाएं की जाती थीं; जिसके कारण राष्ट्रीय चेतना के विकास में ग्रे
बड़े सहायक सिद्ध हुए। यद्यपि अनेक समाचार-पत्र अ्प्रेजी भाषा में ही
प्रकाशित होते थे, इनका कार्य भी देश में राष्ट्रीय एव देश-प्रेम की
भावनाओं को जागृत करना होता था। पत्रकारों के अतिरिक्त भारतीय
साहित्यकारों ने भी देश की राजनीतिक जागणति में योग दिया | उन्होंने अपनी
रचनाओं एव लेखों में राष्ट्रीय दथिकोण को प्रधानता देकर देश मे एक नवीन
चेतना का संचार किया । इस सम्बन्ध मं बङ्किमचन्द्र चरजीं, दीननबन्घु
मित्रा, हेमचन्द्र बनजीं, नवीनचन्द्र सेन, रवीन्द्रनाथ टैगोर, सरलाठेवी चौधरी
श्रद् क्ते नाम स्मरणीय है|
यातायात के साधन `
लाड इलदौजी के शासन काल मे रेल, डाक; तार श्रादि यातायात के
साधनों की उन्नति से देश में राष्ट्रीय की भावना को अ्रधिक प्रोत्साहन
मिला | अब विभिन्न प्रान्तों के नागरिक सुगत पूर्वक विचार-विनिमय कर
परस्पर एक सूत्र में बंधने लगे । वे एक दूसगे की कठिनाइयों को समझकर
समय-सम्रय पर पारस्परिक सहायता करने के लिये तैयार रहने लगे । यातायात
को सुविधाओं के कारण हो देश में राष्ट्रीय सम्मेलन एव सभाए सम्भव हौ
सकी एवं नेताश्रों को देश-श्रमण तथा जनमत के संगठन में रेलों एवं मोथण्रों
से वडो सहायता मिली । सन् १८७७-७८ में सुरेन्द्रभाथ बनर्जी का सिविल
सर्विस की प्रतियोगिता के सम्बन्ध में देश का भ्रमण रेल द्वारा ही हुआ ।
अपन बिचारों के प्रतिपादन के द्वारा उन्होंने प्रथम वार समम्त देश को एक
लक्ष्य के प्रति प्रयत्नशील बनाया ।
लाड लिटन की नीति :
वैसे तो सन् १८०५७ के पश्चात् से ही अग्रेजों का भारतीयों पर कोप था
কিন্ত লাই लिय्न की साम्राज्यवादी नीति ने देशप्रेमियों की आँखें खोल दीं |
उनका शासन-काल राजनीतिक भूर्लों से भरा हुआ था। अफगानित्तान की
नीति, समनाचार-पत्रों पर प्रतिबन््ध, भारतवासियों का निःशस्त्रीकरण एवं
इग्लैंड से आने वाले कपड़े पर से आयात कर के उन्मूलन ने देश मे राष्ट्रीयता
की भावना को प्रोत्साहित करने में बड़ा योग दिया । इसके अतिरिक्त सन्
१८७७ में जबकि देश में प्रतिदिन अनेकों व्यक्ति भीषण दुर्मिक्ष के कारण मर
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