पद्य-प्रमोद | Padam Prmode
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
641 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यमुना-वर्णन
मधुरी नौवत वजत, कहूँ नारी-नर गावत ।
बेद पढ़ृत कहूँ द्विज, कहुँ जोगी ध्यान लगावत ॥
कहुँ सुन्दरी नहात बारि कर-जुगल उलारत।
जुग अम्बुज मिलि मुक्त-गुच्छ मनु सुच्छ निकारत ॥
धोषत सुन्दरि वदन करन अति ही छत्रि पावत |
वारिधि नाते ससि कलङ्क मनु कमल भिटावत ॥
सुन्दरि सखि मुख नीर मध्य इमि सुन्दर सोहत ।
कमलवेलि लहलदी नत्रल कुसुमन मन मोहत ॥
दीठि जहीं जहाँ जात रहत तितही ठहराई।
गड्गा छवि हरिचन्द कछू बरनी नहिं जाई॥
~
यसुना-वणेन
( ४१)
तरनि-तनूजा-तट तमाल-तरुवर बहु छाये।
मुके कूल सों जल परसन-दित मनँ सुदाये ॥
करथो मुकुर मे लखत उद्चकि सव्र निज निन्न सोभा।
कै प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा॥
मनु आतप-ब्ारन तीर कों सिमिटि सत्रै छाये रहत।
के हरि-सेवा द्वित ने रहे निरखि नेन मन सुख लह्द॒त ॥
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