नृत्य और शिक्षा | Nritya Or Shiksha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : नृत्य और शिक्षा  - Nritya Or Shiksha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मुरारीलाल शर्मा - Murarilal Sharma

Add Infomation AboutMurarilal Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
फिन्तु इसके लिए दो बातों का ध्यान रखना जरूरी है १. सचय मलत तरीके शर्थात्‌ चोरी भयवा झगड़े भ्रादि से ते हो । २. वस्तु का दुरुपयोग न किया जाए । संचित वे गई वस्तु समाज-हिंत के लिए हो, तभी वह लामदायक हो सकती है । विधायकता:-- ध्राप धालक को खेनते हुए देखिए | वह खिलोंने तथा मिट्टी एवं खकड़ो प्यादि को र उधर करता ही रहता है ) कभी वह पर बनाता है, कभी भोपड़ी बनाता है । रेल हवाई जहाज भ्रादि जो भी वह चाहे, बनाता है । उसमे बनाने-विगाडने की प्रवृत्ति बा संचालन बराबर रहता है । बडा होने पर मनुष्य को इस प्रकार बताने-दिगाडने की आवश्यकता नहीं रहती वपोकि उसने ये सब क्रियाएं बलपन में करसी हैं । धहू तो ऐसी यस्तु का निर्मागा करता है, जो सभाम के व्यावहारिक-जीवन में काम धरनि वापी मिद्र हो । बालक को इस वताने>विगाड़ने वाली प्रवृत्ति का शिक्षान्द्ेत्र में काफी उपयोग है । उप्तकी भ्रादतों बो ओर पूरा ध्यान रख कर उममे अच्छी तरह कार्यं कर दाया जाय तो ऐसा बालक बचपन की सही शिक्षा वेः कारण उच्चकोटि शा इस्जि- नियर प्राद्रि भी बन सकता है ४ सामान्य प्रवृत्तियों सामान्य प्रवृत्तियो को हम दार रूपी में पाते हैँ, यथा संकेत, पनुकरण, अहानुभूति एवं खेत । इन प्रवृत्तियों में समेग वा प्रभाव रहता है, जबकि मूस-प्रवृत्तियों में मबेग होते हैं ! १. অন্ধ, सेत से शालक झपने मन के भावों को समझ्य देता है । इससे वह अपने ढारय॑ को ब-रवा लेता है। इसो प्ररार मालक संजेस के बुछ रूप समझ भी सेता है भोर उसके प्नुगार कार्य बररठा है। संकेत की किया दारीर के विमिल अंग्रों द्वारा प्रदर्शित को जाती है । इनमे भ्रसों तथा हायों भादि का संगरेठ रात दिन के कार्शों मे इतता हो रहता है। मानव के देनिक-डीवन में इनकार शरादर द्रयोव होठा रहता है। লু দা में सरेतों गा बहुत बड़ा महत्व है। घंकेत के कई झप हैं, डिनमें शुश्प चार हैं ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now