इशादिदाशोपनीश्त्संग्रह | Ishadidashopanishtsangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ १६९ )
सद्भिर्यो न सभ्यः यग्वनोऽपि पषया यन्नि
युः । भाचर्या यक्ता फुगनोऽख्य लाया
নো कुगलनातुगिष्टः॥५॥ न नरपायरेष प्रो
एप सुविज्ञेयो वषुधा विन्यमानः। पनन्यपेफ
गतिरत्र नाख्यणीयान् द्यतषवमनुप्रमाात् ५८५
मैषा तर्फ मतिरापनेया प्रोान्ये मैव सुच्नानाव
प्रष्ठ । यान्त्वमापः सत्य्ठतिर्बतासित्वाटडो भू-
यान्नचिकेतः प्रष्टा 1 < ॥
जानःम्वरर् गरेवधिरितवनित्ये न द्यधुवेः प्रा
प्यते द धरुवन्तत् । ततो मया नाचिकेतचिती
ऽग्निरनि द्रव्यैः प्राप्तवानस्मि नित्यम् ॥ १० ॥
कामसख्याप्िन्नगतः प्रतिष्ठां कछ तोरनन्लमभयद्य
पारम् ! स्तोमं सहदुरुगायस्मतिष्ठान्हप्टा छल
धौरो नचिकेतोऽवस्ाचौः ॥ ११ ॥
तन्दुर्दशंगूठमनुप्रविष्ट य॒ादितङ्गद्रेषम्युरा-
णस् । अध्यात्सथोगाधिगसेन देवं सत्वा धीरो
हर्षशोकी जहाति॥१२॥ एतच्छुला सम्परिरस्श
मर्तः प्रच्य धरम्थमयुमेतमाप्य ! ससोदते मोद
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