दास्तान - ऐ - नसरुद्दीन | Dastan-e-nassruddin

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हैफमपेदार पय॑स से जासमान में संशती कौ एक किस दिखायी देती, सितारों धूंपले हं जाते, सृषढ होने की खबर देले वाली हवा हाले से नस सब्ज में सरसराने लगती जाँ7 खिड़ौरूमोँ पर गली विटड़ियां चहाचहान॑ आर चाँच से अपने थार सब्ारने छगत्ती। अलप्ापी अवो वाली सृन्दर्त का भुंह चूमता हुआ छोजा नसफद्दीन कहता : “बकत हों गया। अलॉददा, प्रो पेरों दिलबर, भूल न जाना मुझे |” “अभी रक्त! अपनी सल्रोनी बाहों उसको परदात में डालका बह कहती, “क्या तुम हमेंशा के लए जा ष्हे हो १ सुनो, आज रात को जंसे हो अंधेरा द्ोगा, षष्टे मूलाने के লহ পঁ মৃতিমা তাঁ फिर শর হাটা? नही-। एक हौ मकान मे दं राते गुजारा कमा घेता ह, यह म एक जरसे से मूल चक्का दः) मुफ जपनी राह लगने जो। देर हे ष्टे मुक) “अपनी शाह 1 कसी आर शहर में तृस्हों कोश जहूरो भाप ह कया! रुप जा कह रहो हो!” “मुझ नही मालप्र । लेकिन उजाला सै चुका €; शहर के फाटक खुल गे हो आर पहले कारवा रशाना कतै बहे हौ! ऊवे कौ धदव कौ एनफन सुन रहो से ने) हइस॑ सुनते ही सुफों लगता हाँ कि जिन मेरा पतै भै सेमा गये ह आरि म॑- रूक नहीं सकता। “तौ, जाजो ! अपनी জঙ্গী पर्तको मे जासु छिपाने को नाकाम कॉशिश करती द बह भाजनीन॑ हर्प माराजगी से कहती । लेकिन सुना तो | जानें से पहल॑ अपना नाम तो भु बता भाजो! “मेगा नाम! ता सुझो . तुमने यह रात रहोजा अपतक्तदृदीत के साय बिताथी ২1 শঁ ইঁ खोजा नसतत- ड्रदीन। अमन में खलल डालते बाला ओर फट आर फश्ताद फौसाने बाला। मे वही हुए जिसका सिर काटने भाले क म्ण हनाम হী কষা ऐलान किया शपा है [| डे




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