शब्दार्थ संग्रह और अमरकोशादर्श | Shabdartha Sangrah Aur Amarakoshadarsha

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Shabdartha Sangrah Aur Amarakoshadarsha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६६ १९६ १९१ २०३ २०३ ४६९ ४७ १९० १९९ २५१ ७५ ३५० ३५5 २३४९ १९९ १४२ २५२ अमरकोशादर्श । दलोषः पृष्ठ १९ (असित) काटा ३५१ ७ (असिधावक) तलवार पर घाढधरनेबराला.. ३९३ ९२ (असिपेतका) दरी । १३ शेकिंसी ९२ (असिपुत्री) छूरी ७० (असिदेति > तलवार घाँधनेवाला २ ११९ (अमु) प्राण २५९ ११९ (अमुधारण ) जीवन प्राणा १७३ १३ (असुर) दत्य २३ (अमूक्षण) अपमान |२५४ ` २४ (अमृया) गुणमें दोप | २३ लगाना ६ ६२ (असृग्धर) खाल | २५४ ६२ (अपृङ्‌) रक्ररोहू_ হও (असौम्यखर रूखवो- | २१ लनेवाला, कूरदाव्द | १९९ करनेवाला २ (अस्त) अस्ताचल प- ठायाहुआ ` १७ (अस्तम्‌) अदद्रन 1২৩ १८ (अस्ति) दाना १३ (अस्तु) निन्दापूत्रक स्वीकार ३२ <२ (अस्र) दयियार रद ६< (अस्थ) ह! . ই (अचिरे चच . | १३ २९. ` २३ হজ ३७ (अस्फुखाऋझ) साफ न घोलनेवाला १६४ (अत) रक्त,लोहू-कोना ६० (अखप) राक्षत ६३ (अद) आंसु १६ (असखच्छन्द) आधान परवश < (अस्प) देवता ३७८ असर > रशब्द घोलनेवाला ५७ (अखाध्याय) बेदाध्य- यन रहित ५० (अहँयु) अहंकारवाला ३० (अहःपति) सूयय २३२ (अहंकार ) आभमान ५० (अहंकाखत्‌ ) अभि मानी २ (अहन) दिन,भहंकारी १०१ (अहमहमिका) परस्प- राभिमान,जिंस लड़ाइ में बीरकह কক হন লী বহু ভার १०० ( अहंपूविका ) पाइल हम पिरे टम पसा कहना ` ७ ( अहंम्मति ) अज्ञान ३० (अहप॑ति ) सुप्प २ (अद) प्रातःकाल म ( अहस्कर ) सूय




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