कश्मीरा सैवादार्सना औरा कामायनी | Kasmira Saivadarsana Aura Kamayani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची प्रथम खण्ड काश्मीर शैवदर्शन : इतिदास वथा सिद्धान्त अध्याय १ : काश्मीर शैवद्शन : उद्धव कौर विकास 7. १-४० नाम, उद्धव, काछ, साहित्य--( १ ) जागम शाख--सालिनीविज- थोक्तरत॑त्र, विज्ञानमैरव, स्वच्छन्व॒तंत्र, नेत्रतंत्र, स्वायंभुवर्तन्न, स्थामकतंत्र, शियसूत्र, बृत्तियों, बृत्तिकारों का परिचय | ( २) स्पन्दशाख--स्पन्दका- रिका, स्पन्दुकारिका फी वृत्तियाँ--स्पन्दुसर्वस्वदृ त्ति, स्पन्दविद्युति, रुपन्दर् प्रदीपिका, स्पन्द्संदोह, स्पन्दनिर्णय, जृत्तिकारों का परिचय । (३ ) জন” भिशाशाख--शासखकारों का परिचय, उनके अन्थ--शिवदष्टि, ईश्वरप्रत्य- भिज्ञा, ईश्वरप्रध्यभिज्ञाउत्ति, सिद्धित्रयी, ईखरप्रत्यभिज्ञाविमदििनी, ईश्वरप्रत्य- भिज्ञाविदृत्तिविम्शिनी, संत्रात्यफ, संत्नमार, परा्रिशिकादिवरण तंत्रवट्या« निका, परान्नीशिकाविश्वकत्ति, साल्नीविजयवार्सिक, परमार्थसार, योधपंचद- क्लिक, भ्रष्यभिताहदय, पराप्रावेरिका, महार्भमंजरी, मादृका-चक्र-चियेक, शिवजीयदशर, क्िव्िद्धनीति, चिरस्फारस्ताराद्वय, शिवदशक्तिविकास, भास्क- रीृत्ति, तोत्र अन्य, पटुत्रिशत्तर्वसंदोद हइर्यादि । তব হীন आचार्य और उनके अन्य 1 हे अध्याय २ : काश्मीर शैबदर्शन : सिद्धान्त ४१-६४ महेश्पररूप आत्मस्थरूप-निरूपण--अ्रकाहविमज्ञमय, शिवशक्ति में अभेद, स्वास्म-विधान्ति, आनन्द, ज्ञान-करिया की अमेदता, परूत्रिशदा- स्मक जगत्‌--इच्छाशक्ति का स्फुरण, विश्वोत्तीर्ण-विश्वलय, चिति-इच्छा रः विश्व का उपादान एवं आश्रय, उन्मेपनिर्मेपमयी इच्छाशक्ति ; स्पन्‍्द, परम- शिव का पाक्तिपंचक : वित्‌दाक्ति, आनन्दुषाक्ति, औन्‍्पुए्य, आनन्दुदाक्ति त्तथा औन्‍्मुण्य से अन्तर, इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। परमशिव का स्वातभ्य-निरूपण--स्वातंश्यरक्ति, स्वात॑भ्यरशक्ति से स्वात्मरूप में ही अपरोहण-आरोहणरुप कदपमा कीड़ा, स्वातेभ्यविखास, क्षाए्मा : नरतक, पंचविधह्वत्य : सषि, स्थिति, सहार, तिरोधान, शलुपरह १ विश्वाभास--पैड्दर्शन और विरव-उन्मेष, जारग्मवाद्‌, परिणामवाद, भयेकवस्तुवाव्‌, विवर्तंधाद्‌, दिश्योन्मेप मं हौव्ट, परमशिव जीर पिरव




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