विनोदशंकर व्यास की इकतालिस कहानियाँ | Vinod Shankar Vyas Ki 41 Kahaniyan

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Vinod Shankar Vyas Ki 41 Kahaniyan by विनोदशंकर व्यास - Vinod Shankar Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मान का प्रश्न शु बचपन ख़ेलता हुआ चला गया । जवानी इदलाती हुई झा रही थी । नसन्नस में यौवन-विधुल्‌ का संचार हो रहा था । सुभद्रा ने एक बार सुख की अँगड़ाई ली । बहू बड़ी मधुर प्रतीत हुई । उसने आँखें खोलकर देखा- - प्रकृति मुस्कुरा रही थी । गम्भीर होकर सुसा--म्रेस छुव्द संदेश दे रहा था | दोपहर का समय था। वी हो चुकी श्री । शसिबार-+ बड़ा सुदावना दिन था बह अपने पति की अतीक में थी




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