तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य - परंपरा | Tirathkar Mahavir Aur Unki Acharya-prampara Part-iii

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Tirathkar Mahavir Aur Unki Acharya-prampara Part-iii by डॉ नेमिचंद्र शास्त्री - Dr. Nemichandra Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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¢ म ३ সপ্ত জীং এং+থখাীধ্নথাখ इस खण्डमे भी दो ५*रिष्छेद हैं। इनका वण्थ विष५ निम्न प्रकार है | সএক। परिच्छेद : भवुद्धाचाय इस परिण्छेदमे डॉक्टर शास्तीने अनुद्धाचार्थों और उनको कृतियोको सक- प किय तथा छनन विस्तृत परिचय दिया है। प्रबुद्धानायसे अभिश्नार्थ उ् आचार्यो से छिया है, जिच्होने अपनी प्रतिभा द्वारा अ््यभ्रणयनके साथ विवृ- तिथां और भाष्य भी रचे हैं। इस श्रेणीमे जिनसेन प्रथम, भुणभद्र, पाल्यको पति, व।दीमसिह, भहावीराचाये, वृहतु अचच्तवीय, भाणिक्यर्नानद, प्रभाचन्‍द, छपु- अनन्तवीर्य , वीरचच्दि, महासेन, हस्पिण, सोमदेव, वादिराज, पद्मनतन्दि भ्रथम, पद्मतन्दि छत्तीय, जयसेन, पद्मप्रभमलधा रिदेव, शुभवचच्च्र, अचन्तको ि, भल्लिषेण, इच्द्र्तन्दि अरुथभ, इच्द्रनन्दि द्वितीय अदि प्रास आचाय परिभणित्त हैं। इंच संबंपंत परिचय इस प१रिच्छदसे লিলন্ত ই | হণলী ঞ্চুসিএ)পণ শী দিংএ।২২ নধর विषय प्रतिपादित है | छितीय परिच्छेद : पर*ूपरापोषकाचारये ऊउखकने पर+१रापोषकाचाय उन्हे बताया है, जिन्होने दि।_+ब १२९*प राको रक्षाके लिए ॥चीन आनार्यो #रा निभित अच्योके आधारपर अपने चये भ्रच्य लिखे और पर+पराको मतिणी७ बनाये रख। हैं। इस श्रेणीमे भट्ट। <क॑ परिगणित हैं। ५रेवंदेव, भार्क रनत्दि, प्रह्मपेप, रविचनद्र, पद्मचन्दि, सकंछकोपि, भुवन- कौत्ति, त्ह्मजिनदास, सोभकोति, रानभूषण, अभिनव घमंभूषण, विजथकोंत्ति, शुभचच्छ, विद्यानन्दि, मल्लिभूुषण, बीरचच्छ, सुमतिकोति, 4श कीत्ति, धर्म- को आदि पचास परम्परापोषकाचार्यो का परिचय, समर्य-निर्णय और उनको र्व॑नासोका इस परिष्छेदमे विस्तुत निरूपण है। ৩1 इस निशाल अच्यके सुजन और अकाशनका विह॑प्परिषदुने जो निश्चय एन सनस किना था, उसको पूणता ५९ जाज हमें धंसभता है। इस सकलपभे विहत्परिषदके प्रत्येक सदस्यथका मानसिक या वाचिक या कायिक सेंहभाग है | कार्यका रिणीके सदस्योने अनेक बंठकोमे सम्मिछित होकर सूस्यवाचु विचारूदान किया है | भ्रन्‍4-वाचचमे श्रद्धथ पण्डित केणाशचच्द्रणी शोस्नी और डॉ० ज्योति- नाएजीका तया अन्यको उत्तम बचानेमे स्थानी4 विद्धानु प्रोण खुशा७चच्द्रणी তু १५




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