आर्द्रा | Ardra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रयाणेन्मुखो
पूज्य स्वजनो के खुर हृद्धास मे ;
हो न फिर पीड़क किसी सी काससे।
फोन जातें, किस नगर, किस गेह से
लालिता साता-पिता के स्नेह सें ,
भाग्यवन्ती रूपसी वह है कहाँ ,
आयगी सेरे अनन्तर जो यहाँ $
हृदयधन का हृदय हरषाती हुई ,
दीप्निसय नव-दीप्चि बरसाती इई ।
चाहती हू; तू सुखी हो दे चहम !
शोक यदि छा जाय इस घर में गहन ,
तो उसे तू छिन्न कर देगी स्वयं ;
হা বল भी शीघ्र हर लेगी स्व॑ ।
आज स्वमी आयरोे अब जिस समय ,
त्याग कर सम्पूर्ण चिन्ता, क््लेश, भय ,
লীল रह, कुछ दूसरे ही भाव से
उन पदो पर में पर्ड शी चाद से ;
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