आर्द्रा | Ardra

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Ardra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रयाणेन्मुखो पूज्य स्वजनो के खुर हृद्धास मे ; हो न फिर पीड़क किसी सी काससे। फोन जातें, किस नगर, किस गेह से लालिता साता-पिता के स्नेह सें , भाग्यवन्ती रूपसी वह है कहाँ , आयगी सेरे अनन्तर जो यहाँ $ हृदयधन का हृदय हरषाती हुई , दीप्निसय नव-दीप्चि बरसाती इई । चाहती हू; तू सुखी हो दे चहम ! शोक यदि छा जाय इस घर में गहन , तो उसे तू छिन्न कर देगी स्वयं ; হা বল भी शीघ्र हर लेगी स्व॑ । आज स्वमी आयरोे अब जिस समय , त्याग कर सम्पूर्ण चिन्ता, क्‍्लेश, भय , লীল रह, कुछ दूसरे ही भाव से उन पदो पर में पर्ड शी चाद से ; १३




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